लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा सर्वोपरि, इसे पाने के लिए किसी से भी संपर्क करेंगे: हनीफा

नवनिर्चाचित सांसद मोहम्मद हनीफा जान लद्दाख के लिए छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे की मांग पर टिके हुए हैं। निर्दलीय सांसद ने कहा कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठंबधन (एनडीए) के साथ-साथ विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’के नेताओं से संपर्क करेगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को उनका अधिकार मिले। 

हनीफा जान ने नेशनल कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा देने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। उन्होंने यह भी कहा कि वह अभी किसी दल में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा, इस बार का लद्दाख में चुनाव अलग था। अब तक चुनाव धार्मिक या क्षेत्रीय आधार पर होते थे। इस बार लोगों ने केवल मुद्दों पर वोट दिया। 

पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में बांट दिया गया था। इसके बाद से लद्दाख में लोग संविधान की छठी अनुसूची की तहत सुरक्षा उपायों और राज्य के दर्ज की मांग कर रहे हैं। इन दो मांगों के अलावा, चार सूत्रीय एजेंडा में एक अलग लोक सेवा आयोग और दो अलग-अलग लोकसभा सीट कारगिर और लेह की भी मांग है। 

चुनाव से ठीक पहले उनकी प्रमुख मांगों को गृह मंत्रालय ने ठुकरा दिया था। इस वजह से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। जिनका नेतृत्व जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने किया था। चुनाव से ठीक पहले आंदोलन स्थगित कर दिया गया था। यहां तक कि भाजपा ने मौजूदा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल की जगह लेह स्वायत्त पर्वतीय विकासक परिषद के अध्यक्ष ताशी ग्यालसन को टिकट दिया। लेकिन पार्टी मतदाताओं को प्रभावित करने में विफल रही और तीसरे स्थान पर रही। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार सेरिंग नामग्याल दूसरे स्थान पर रहे। 

हनीफा ने कहा, पिछले पांच वर्षों से लोग केंद्र शासित प्रदेश बनाने को लेकर शिकायत कर रहे हैं। वे अपने भविष्य के रोजगार के बारे में चिंतित हैं। कई युवाओं के सपने चकनाचूर हो गए हैं। जो लोग पढ़ाई कर रहे हैं, वे भी अपने भविष्य को लेकर निश्चित नहीं हैं। यह पूरे लद्दाख में एक आम मुद्दा है। उन्होंने कहा, हम पिछले  पांच वर्षों से इन मुद्दों पर लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने भी चुनाव में यही मुद्दा उठाया था। यदि आप वोट शेयर को एक साथ रखते हैं तो लद्दाख के 80 फीसदी लोग मानते हैं कि वे यथास्थिति से खुश नहीं हैं और वे इन मुद्दों को हल करना चाहते हैं। 

उन्होंने कहा कि सरकार को सोचना चाहिए कि जनादेश क्या है। लद्दाख के संसद ने मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ बैठक की और कहा कि उन्होंने उनके साथ चार सूत्रीय मांग साझा की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के साथ बैठक अच्छी रही। हमने लद्दाख के लोगों की मांगों को विस्तार से साझा किया औऱ पूछा कि वे हमें किस हद तक समर्थन दे सकते हैं। 

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