मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के बयान के बाद प्रदेश में एक बार फिर से सियासी हलचल तेज हो गई है। सीएम सुक्खू ने भाजपा के नौ अन्य विधायकों को अयोग्य घोषित करने के बयान से नया तीर छाेड़कर भाजपा पर पलटवार किया है। इस मामले में कांग्रेस विधायकों ने एक याचिका दायर की थी, जो विधानसभा अध्यक्ष के पास विचाराधीन है। अब चर्चा यह है कि अगर सचमुच ऐसा होता है तो प्रदेश विधानसभा के तीसरे उपचुनाव की नौबत आ सकती है।
तीन अन्य विधानसभा सीटों के उपचुनाव की प्रक्रिया के बीच नई राजनीतिक सुगबुगाहट शुरू हो गई है। हमीरपुर में मुख्यमंत्री सुक्खू ने कांग्रेस प्रत्याशी रहे डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा की नामांकन रैली के दौरान बीते दिन कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सरकार बनाने के सपने लेना छोड़ दें। कांग्रेस के पास 38 विधायक हैं। जयराम ठाकुर को अपने नौ विधायकों की चिंता करनी चाहिए। उनके नौ विधायकों के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका लंबित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के नौ विधायकों ने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान गुंडागर्दी का नंगा नाच किया था। स्पीकर के सामने रखे कागजात को फाड़कर हवा में लहराया था। याचिका पर फैसला स्पीकर को लेना है और कांग्रेस विधायक दल ने इस संबंध में जल्दी निर्णय लेने का आग्रह किया है। अगर यह नौ विधायक अयोग्य घोषित हुए तो दोबारा चुनाव में एक-दो ही गलती से ही जीतकर आएंगे। कांग्रेस विधायकों की संख्या इससे 50 तक पहुंच सकती है।उल्लेखनीय है कि विधानसभा सचिवालय की ओर से इन विधायकों को मार्च में नोटिस जारी कर बुलाया गया था।
इससे संबंधित जवाब दायर करने से पहले भाजपा विधायक दल ने बाकायदा विधानसभा परिसर में बैठक की। फिर 13 पृष्ठों का जवाब तैयार कर विधानसभा अध्यक्ष को दिया। नौ में से आठ विधायकों विनोद कुमार, हंसराज, सुरेंद्र शौरी, सतपाल सिंह सत्ती, विपिन सिंह परमार, दीपराज, लोकेंद्र कुमार और इंद्र सिंह गांधी स्पीकर के समक्ष उपस्थित हुए। भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल खुद नहीं आए, बल्कि उनके एक प्रतिनिधि पेश हुए।वहीं, शनिवार को कांग्रेस विधायक अजय सोलंकी ने आरोप लगाया कि इन नौ भाजपा विधायकों ने विधानसभा की कार्यवाही बाधित की।
चेयर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी व नारेबाजी की। विपक्ष के सदस्यों की ओर भी कागज फेंके गए, जो सदन के नियमों की अवमानना है। इसी पर विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर सचिव ने इन विधायकों को अवमानना का नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था। अब यह मामला विधानसभा अध्यक्ष के पास विचाराधीन है, जिसमें इन नौ विधायकों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया है।