तमिलनाडु विधानसभा ने एक बार फिर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र से राज्य को राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा से छूट देने का आग्रह किया। इसके साथ ही प्लस टू परीक्षा के अंकों के आधार पर छात्रों को मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने की अनुमति देने की मांग की। भाजपा की सहयोगी पीएमके ने मुख्यमंत्री और द्रमुक नेता एमके स्टालिन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव का समर्थन किया। सीएम स्टालिन ने सदन में कहा कि यह परीक्षा भेदभावपूर्ण थी। इसमें ग्रामीण और गरीब छात्रों को चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने के अवसर से वंचित कर दिया गया था।
अन्नाद्रमुक का राज्य सरकार पर आरोप
अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व सीएम एडप्पादी पलानीस्वामी ने द्रमुक पर नीट (NEET) को खत्म करने के लिए कम प्रयास करने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल किया, “तीसरी बार विधानसभा में प्रस्ताव लाने का क्या मतलब है?” अन्नाद्रमुक नेता ने कहा, “यह द्रमुक सरकार का राजनीतिक ड्रामा है। लोग पर ऐसे राजनीतिक हथकंडों पर विश्वास नहीं करते हैं।”
विधानसभा में भाजपा नेता नैनार नागेंद्रन ने कहा कि राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “नीट की जरूरत है। नीट के खिलाफ विधानसभा का प्रस्ताव अस्वीकार्य है। हम वॉक आउट कर रहे हैं।” नागेंद्रन के साथ अन्य भाजपा नेताओं ने भी वॉक आउट किया।
नीट को खत्म करने की मांग
सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए सीएम स्टालिन ने कहा कि गरीब और ग्रामीण छात्रों के लिए चिकित्सा शिक्षा को पहुंच के बाहर करने के अलावा नीट ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं को भी प्रभावित करेगा। उन्होंने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा केंद्र को लिखी गई चिट्ठियों का हवाला दिया। इस चिट्ठी में नीट के संचालन में अनियमितताओं के बाद नीट को खत्म करने क मांग की गई थी।
स्टालिन ने कहा कि नीट को खत्म कर देना चाहिए। कई राज्यों में अनियमितताओं के विरोध को ध्यान में रखते हुए केंद्र को नीट को पूरी तरह से खत्म करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम में संशोधन करने की आवश्यकता है।