राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। उनकी पत्नी स्मृति ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में इस पुरस्कार को स्वीकार किया। इस दौरान स्मृति बेहद भावुक थीं और किसी तरह हिम्मत करके अपने आंसुओं को रोके रहीं। समारोह में कैप्टन अंशुमान की मां भी मौजूद थीं। कैप्टन अंशुमान को सियाचिन में आग लगने की घटना के दौरान बहादुरी दिखाने के लिए देश के दूसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार सम्मानित किया गया है।
पहली नजर में हुआ प्यार और आठ साल बाद की शादी
स्मृति याद करते हुए कहती हैं कि वह मुझसे कहते थे कि मैं सीने पर गोली खाकर मर जाऊंगा, पर साधारण मौत नहीं मरूंगा। वह आगे बताती हैं, “हम (इंजीनियरिंग) कॉलेज के पहले दिन मिले थे। मैं नाटकीय नहीं होना चाहती, लेकिन यह पहली नजर का प्यार था। एक महीने के बाद उन्हें सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज (एएफएमसी) में चुना गया। फिर उनका चयन एक मेडिकल कॉलेज में हुआ। वह एक बुद्धिमान व्यक्ति थे। तब से सिर्फ एक महीने की मुलाकात के बाद ये रिश्ता आठ साल तक चला। फिर हमने शादी का फैसला किया। दुर्भाग्य से दो महीने के भीतर ही उनकी तैनाती सियाचिन में हो गई।”
धधकती आग से पांच लोगों को बचाया
कैप्टन अंशुमान सिंह सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में चिकित्सा अधिकारी के रूप में तैनात थे। 19 जुलाई 2023 को शॉर्ट सर्किट के कारण सुबह करीब तीन बजे भारतीय सेना के गोला-बारूद के डंप में आग लग गई। कैप्टन सिंह ने एक फाइबर ग्लास झोपड़ी को आग की लपटों से घिरा हुआ देखा और अंदर फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए तुरंत काम शुरू किया। उन्होंने सफलतापूर्वक चार से पांच लोगों को बचा लिया लेकिन आग जल्द ही पास के चिकित्सा जांच कक्ष तक फैल गई। कैप्टन सिंह वापस आग से धधकती झोपड़ी में गए, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद वह अंदर ही फंसे रह गए।
शादी के दो महीने बाद हुई थी सियाचिन में तैनाती
स्मृति ने आगे बताया, “हमारी शादी के दो महीने के भीतर ही दुर्भाग्य से उनकी तैनाती सियाचिन में हो गई। 18 जुलाई को हमने लंबी बातचीत की थी कि अगले पचास वर्षों में हमारा जीवन कैसा होगा। 19 जुलाई की सुबह मुझे फोन आया कि वह नहीं रहे। अगले सात-आठ घंटों तक हम यह मानने के लिए तैयार नहीं थे कि इस तरह कुछ हुआ है। अब जब मेरे हाथ कीर्ति चक्र है तो यह सच है। वह एक हीरो थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरे लोगों और सेना के परिवारों को बचाने में लगाया।” कैप्टन सिंह का 22 जुलाई 2023 को उत्तर प्रदेश के दवरिया जिले के भागलपुर में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।