आतिशी के बाद दिलीप पांडे का एलजी पर तंज, बोले- षड्यंत्र रचा… लेकिन सच्चाई की जीत हुई

दिल्ली सरकार के स्कूलों में काम कर रहे शिक्षकों के तबादले पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने रोक लगा दी है। जिसके बाद आम आदमी पार्टी के नेता हमलावर नजर आ रहे हैं। आतिशी के बाद आप नेता दिलीप पांडे ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

दिलीप पांडे ने कहा कि दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी के निर्देशों के खिलाफ जाकर दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले 5006 शिक्षकों का तबादला कर दिया गया था। इस ट्रांसफर आदेश का आम आदमी पार्टी ने जबरदस्त विरोध किया और इसे वापस लेने की मांग की थी। आज आखिकार सच्चाई की जीत हुई, भाजपा राजनैतिक जलन की वजह से ऐसा कर रही थी। बीजेपी शासित राज्यों में सरकारी स्कूलों की बुरी हालत है। स्कूलों की हालत खस्ता है। सरकारी स्कूलों के भवन नहीं हैं, अध्यापकों की कमी है। इनके राज्यों में सरकारी स्कूल ध्वस्त हो चुके हैं।

आगे कहा कि केजरीवाल की सरकार में सरकारी शिक्षा व्यवस्था में जबरदस्त बदलाव लाया गया। भाजपा ने इसी क्रांतिकारी शिक्षा मॉडल को बर्बाद करने के लिए अपने एलजी के द्वारा शिक्षकों के ट्रांसफर का षड्यंत्र रचा लेकिन शिक्षक संघ की एकता और दिल्ली सरकार के संघर्ष की वजह से ये ट्रांसफर रुके।

एली ने लगाई रोक
रविवार को भाजपा के सांसदों के साथ शिक्षकों के प्रति निधि मंडल दल ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान शिक्षकों ने अपनी बात रखी। इस पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए बेहतर सेवा शर्तों के लिए लगातार प्रयास कर रहे। उन्होंने मुख्य सचिव और शिक्षा निदेशालय को शिक्षकों से संबंधित हाल के स्थानांतरण आदेशों पर सहानुभूतिपूर्ण, समग्र और निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी है। साथ ही सुझाव दिया है कि अंतरिम अवधि में आदेशों को स्थगित रखा जाए।

मंत्री के आदेश के खिलाफ किया तबादला: आतिशी
दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि सरकार के आदेश के बावजूद अधिकारियों ने 2 जुलाई को पांच हजार शिक्षकों का तबादला कर दिया था। ये वह शिक्षक हैं जिन्होंने पिछले 10 साल में दिल्ली सरकार के स्कूलों का परिणाम निजी स्कूलों से बेहतर कर दिया। इन शिक्षकों का कारण ही सरकारी स्कूल के बच्चों का दाखिला आइआइटी में हुआ।

शिक्षक केजरीवाल सरकार के साथ मिलकर दिल्ली के शिक्षा व्यवस्था को सुधार रहे थे। लेकिन भाजपा ने एलजी की मदद से इन शिक्षकों का तबादला करवाया। लेकिन जिस दिन यह आदेश आया था उसे दिन भी हमने वादा भी किया था कि किसी भी शिक्षकों के साथ कुछ गलत नहीं होने दिया जाएगा। दिल्ली सरकार के दबाव के कारण ही आज लोग को यह आदेश वापस लेना पड़ा है। 

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