केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अमेरिका की अकादमिक पत्रिका ‘साइंस एडवांसेज’ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन की आलोचना की। अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत ने 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान अत्यधिक मृत्यु दर का अनुभव किया। मंत्रालय ने इस अध्ययन को प्रकृति में गलत करार दिया।
अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत ने 2019 की तुलना में 17 फीसदी अधिक (11.9 लाख) मौतों का अनुभव किया। इसके मुताबिक, यह आंकड़ा भारत में कोरोना से हुई मौतों की आधिकारिक संख्या से आठ गुना ज्यादा है और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमानों की तुलना में 1.5 गुना अधिक है।
मंत्रालय ने कहा कि अध्ययन के निष्कर्ष अस्वीकार्य हैं। इसके लेखकों ने जो विधि अपनाई है, उसमें कई खामियां हैं। मंत्रालय ने कहा कि लेखकों ने जनवरी और अप्रैल 2021 के बीच आयोजिक राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) से घरों के एक उपसमूह का उपयोग किया और 2020 में इन घरों में मृत्यु दर की 2019 से तुलना की और फिर निष्कर्षों को पूरे देश में प्रसारित किया।
बयान में कहा गया कि आज प्रकाशित अध्ययन की विधि त्रुटिपूर्ण है और ऐसे निष्कर्ष अस्थिर और अस्वीकार्य हैं। मंत्रालय ने तर्क दिया कि एनएफएचएस नमूना केवल तभी पूरे देश का प्रतिनिधि माना जाता है, जब यह समग्र रूप से किया जाए। 14 राज्यों के विश्लेषण में शामिल 23 फीसदी परिवारों को पूरे देश का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता है।
मंत्रालय ने इस दावे को भी खारिज किया कि भारत सहित निम्न और मध्य आय वाले देशों में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) कमजोर है। इसने कहा कि भारत की नागरिक पंजीकरण प्रणाली अत्यधिक मजबूत है, जिसमें 99 फीसदी से ज्यादा मौतों को दर्ज किया गया है। मंत्रालयो ने कहा कि रिपोर्टिंग 2015 में 75 फीसदी से बढ़कर 2020 में 99 फीसदी से अधिक हो गई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगे कहा कि सीआरएस में दर्ज की गई अतिरिक्त मौतों के लिए पूरी तरह से महामारी जिम्मेदार नहीं है।