कांवड़ यात्रा के मार्ग में नाम: जयंत के विरोध में दिख रही है पुराना वोट बचाए रखने की चाहत

केंद्र और प्रदेश की सरकार में रहकर जिस तरह रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों के नाम लिखने का खुलकर विरोध किया है, उसके सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं। दरअसल, पश्चिमी यूपी में जाट और सैनी वोट के बाद चुनावी जीत-हार में मुस्लिम मतदाताओं की भी बड़ी भूमिका रहती है। यही वजह है कि रालोद इन मतदाताओं को नाराज नहीं करना चाहता है।

यही वजह है कि राज्य सरकार के इस आदेश से जयंत और रालोद को यह चिंता सताने लगी है कि लंबी जद्दोजहद के बाद विधानसभा व लोकसभा चुनाव में साथ देने वाले मुसलमान उनसे फिर से दूर न हो जाएं। पार्टी के नेता भी मानते हैं कि बिजनौर और बागपत लोकसभा क्षेत्र में उनके जो प्रत्याशी जीते हैं, उन्हें अच्छी संख्या में मुस्लिम वोट भी मिले हैं। पार्टी ने मुस्लिम मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बनाई है।

आगे मुजफ्फरनगर के मीरापुर में विधानसभा उपचुनाव भी हैं। पार्टी अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर भी तैयारी कर रही है। 2027 में विधानसभा चुनाव भी हैं। इसे देखते हुए पार्टी जाट, सैनी, दलित के साथ मुस्लिमों को भी साधने में जुटी हैं। इससे वह मुस्लिम मतदाताओं को नाराज नहीं करना चाहता है। यही वजह है कि जयंत इस मामले में खुलकर सामने आए हैं। हालांकि वे इसे विरोध की जगह सुझाव बता रहे हैं।

धर्म के आधार पर वर्गीकरण ठीक नहीं : त्यागी
पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन त्रिलोक त्यागी ने कहा कि फल, चाय, खाने की दुकानों पर नाम लिखने का आदेश ठीक नहीं है। यह हमारा विरोध नहीं बल्कि सुझाव है कि जाति और धर्म के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करना ठीक नहीं है। हम इसके पक्ष में नहीं है। महात्मा गांधी और चौधरी चरण सिंह भी हिंदू किसान और मुसलमान किसान में भेद नहीं करते थे। हम एनडीए और योगी के साथ हैं, लेकिन यह फैसला अधिकारियों का है और गलत है। दुकानें शाकाहारी हैं या मांसाहारी इसकी पहचान होनी चाहिए।

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