दिल्ली दंगे: हाई कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका पर पुलिस से मांगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। उमर खालिद पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज दिल्ली दंगों में साजिश रचने का आरोप है।

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस गिरीश कठपालिया की खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा और मामले की सुनवाई 29 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दी।

कोर्ट ने सह-आरोपी व्यक्तियों द्वारा दायर जमानत याचिकाओं को भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। आरोपी व्यक्तियों में शरजील इमाम, मीरान हैदर, खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, शादाब अहमद और अतहर खान शामिल हैं। इस बैच में सह-आरोपी इशरत जहां को दी गई जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की चुनौती भी शामिल है।

खालिद की दूसरी जमानत याचिका 28 मई को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दी थी। उन्होंने उक्त आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से राहत मांगने वाली अपनी याचिका वापस लेने के बाद नई ज़मानत याचिका दायर की थी। खालिद ने अक्टूबर 2022 में जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले को चुनौती दी थी।

इसके बाद खालिद ने सीआरपीसी की धारा 437 और यूएपीए की धारा 43डी (5) के तहत एक नया आवेदन दायर किया। नियमित जमानत की मांग वाली उनकी पहली याचिका मार्च 2022 में ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दी थी।

बता दें, उमर खालिद सितंबर 2020 से सलाखों के पीछे हैं। उन पर राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2020 में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी बड़ी साजिश में कथित संलिप्तता के लिए यूएपीए के तहत मामला दर्ज है। खालिद पर पिंजरा तोड़ की सदस्य देवांगना कलिता और नताशा नरवाल, जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा और छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा सहित कई अन्य लोगों के साथ आरोप लगाया गया है।

इस मामले में जिन अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है उनमें पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, मीरान हैदर और शिफा-उर-रहमान, आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, कार्यकर्ता खालिद सैफी, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान शामिल हैं।

खालिद पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 13, 16, 17 और 18, शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25 और 27 तथा सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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