जाति न पूछो राहुल की


हिन्दी के एक वरिष्ठ पत्रकार हैं-ओंकार चौधरी। खेत-खलिहान, सड़क और संसद तक की सार्थक रिपोर्टिंग करते हुए समाज से जुड़े हैं। उनके परिपक्व, स्वतंत्र विचारों से पत्रकारिता गौरान्वित हुई है। अब वे अपने निजी चैनल चला रहे हैं।

संसद में बजट की चर्चा के दौरान अपने 50 मिनट के भाषण में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बजट पर सिर्फ 3 मिनट बोले, बाकी समय अपना पुराना घिसापिटा एजेंडा चलाया। महाभारत की आधी-अधूरी कथा सुनाते हुए कैसे जातिगणना पर उतर आए, कैसे जाति का सवाल उठने पर वे और उनके चुनावी साथी अखिलेश यादव आगबबूला हुए, ओंकार चौधरी ने अपने चैनल पर राहुल की असलियत पेश कर दी। इस कार्यक्रम का शीर्षक उन्होंने ‘जाति न पूछो राहुल की’ रखा है जिससे राहुल की हिन्दू एकता को ध्वस्त करने की छिपी कुत्सित मानसिकता सामने आ जाती है। वैसे लोकसभा टीवी ने जातिवादियों का असली चेहरा दिखा दिया है।

गोविन्द वर्मा

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