अकाली दल में बढ़ रही रार: सुखदेव ढींडसा शिअद से बर्खास्त

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा को पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया है। ढींडसा ने बुधवार को चंडीगढ़ में हुई बागी गुट के नेताओं की बैठक में खुद को पार्टी का सरपरस्त बताया था। अगले ही दिन शिरोमणि अकाली दल की अनुशासन समिति के चेयरमैन बलविंदर सिंह भूंदड़ ने ढींडसा को पार्टी से बर्खास्त कर दिया।

पंजाब में इसे ”ऑपरेशन नागपुर” नाम दिया गया है। इसके तहत दिल्ली के इशारे पर जल्द ही शिरोमणि अकाली दल के पार्टी कार्यालय और चुनाव चिन्ह ”तकड़ी” पर बागी गुट के नेता दावा पेश करने को तैयार हैं। इसको लेकर शिअद की अनुशासन समिति के चेयरमैन भूंदड़ और महेशइंद्र सिंह ग्रेवाल ने खुलासा किया। भूंदड़ ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ही ऑपरेशन नागपुर की साजिशें शुरू हो गई थीं। लोकसभा चुनाव से पहले शिअद और भाजपा के दोबारा गठबंधन होने की अटकलों के बीच जब तक यह स्पष्ट नहीं हो गया था कि दोनों दल एकजुट होकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, तब तक ऑपरेशन नागपुर की सियासी बिसात को पर्दे के पीछे रखा गया था।

ऐसे शुरू हुआ ऑपरेशन नागपुर

महेशइंद्र सिंह ग्रेवाल ने कहा कि एनएसए के तहत डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह का चुनाव लड़ने का फैसला भी इस ऑपरेशन नागपुर का एक मुख्य अंश है। जब तक शिअद और भाजपा के बीच दोबारा गठबंधन को लेकर अंतिम निर्णय सामने नहीं आया था, तब तक खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह की मां, खुद अमृतपाल और उनके परिवार से कभी भी लोकसभा चुनाव लड़ने की सावर्जनिक तौर पर हामी नहीं भरी थी, लेकिन शिअद और भाजपा के बीच गठबंधन न होने का जैसे ही फैसला सामने आया, उसी के बाद अमृतपाल सिंह ने चुनाव लड़ने की घोषणा की।

गठबंधन के लिए भाजपा ने रखी थीं ये दो शर्तें

ग्रेवाल ने कहा लोकसभा चुनाव से पहले शिअद और भाजपा के बीच गठबंधन को लेकर जब चर्चा चल रही थी, तब दिल्ली के नेताओं ने शिअद के समक्ष दो शर्ते रखी थीं। पहली शर्त यह कि पंजाब में लोकसभा चुनाव बराबर सीटों पर लड़ा जाएगा। इसके अलावा भाजपा ने शिअद से बंदी सिंहों और किसानों के मुद्दों पर चुप रहने के लिए कहा था। यही कारण है कि शिअद ने गठबंधन के लिए इंकार कर दिया था।

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