महाराष्ट्र में एक बार फिर सियासी गलियारों में आरोप-प्रत्योप का दौर शुरू हो गया है। हाल ही में राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने हाल ही में उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आरोप लगाया था कि भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस के एक ‘बिचौलिये’ ने उन्हें मुकदमेबाजी में फंसने से बचने के लिए (तत्कालीन) महा विकास आघाडी सरकार के बड़े नेताओं के खिलाफ हलफनामा देने को कहा था।
हालांकि, इन आरोपों को फडणवीस ने नकार दिया। इस मामले में मुंबई पुलिस के बर्खास्त अधिकारी और 100 करोड़ रुपये की जबरन वसूली मामले में आरोपी सचिन वाजे ने अनिल देशमुख को लेकर बड़ा दावा किया। उन्होंने बताया कि देशमुख के पीए के माध्यम से ही पैसे जाता था। सचिन वाजे के इन दावों पर अनिल देशमुख ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि सचिन वाजे एक आपराधिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति है, उसपर कभी भरोसा नहीं चाहिए।
अनिल देशमुख ने बताया कि सचिन वाजे वही कहते हैं जो देवेंद्र फडणवीस उससे कहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह आप सब जानते हैं कि सचिन वाजे ने जो मुझ पर आरोप लगाया है, उसके पीछे किसका हाथ है। लोगों को इसके बारे में जानना चाहिए।
अनिल देशमुख के बचाव में आए संजय राउत
सचिन वाजे के बयान पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने अनिल देशमुख का बचाव किया। उन्होंने कहा, “एक आरोपी भाजपा कार्यकर्ता की तरह बोल रहा है। इस तरह उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति का स्तर गिरा दिया है। अनिल देशमुख एक पूर्व नेता हैं। उन्हें भी बोलने का अधिकार है, लेकिन उनपर दबाव बनाने के लिए आपको (भाजपा) एक आरोपी की मदद लेनी पड़ेगी। यह आपकी विफलता है। वह मानसिक रूप से चुनाव हार गए हैं।”
क्या है मामला
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता देशमुख ने अप्रैल, 2021 में गृहमंत्री के पद इस्तीफा दे दिया था क्योंकि मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने उनपर आरोप लगाया था कि वह पुलिस को शहर के होटल एवं बार मालिकों से वसूली करने को कहते हैं। एनसीपीएसपी के नेता ने समाचार चैनलों से बातचीत में कहा कि (तब विपक्ष में रहे) फडणवीस द्वारा कथित रूप से भेजे गए एक व्यक्ति ने उनसे मुलाकात की थी और उसके पास तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके बेटे और कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे, तत्कालीन वित्त मंत्री अजित पवार और तत्कालीन परिवहन मंत्री अनिल परब को फंसाने वाले कई हलफनामे थे। पूर्व मंत्री ने दावा किया कि उस व्यक्ति ने उनसे कहा था कि उन्हें खुद को मुकदमेबाजी से बचाने के लिए इन हलफनामों पर दस्तखत कर देना चाहिए, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया।