विवादों में घिरे तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग और दिल्ली के कई सीमा क्षेत्रों में चल रहे किसानों के आंदोलन का मुद्दा लगातार चौथे दिन लोकसभा में छाया रहा और इस मुद्दे पर चर्चा को लेकर कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के हंगामे के कारण शुक्रवार को एक बार स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिये स्थगित कर दी गई। कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दल राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा से पहले सदन में किसानों के मुद्दे पर अलग से चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं। राज्यसभा में पिछले कुछ दिनों से कामकाज सुचारू रूप से चल रहा है और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है। हालांकि लोकसभा में चर्चा को लेकर गतिरोध कायम है जिसकी वजह से पिछले चार दिनों में सुचारू कामकाज नहीं हो सका है। निचले सदन में कृषि कानूनों एवं किसानों के विषय पर चर्चा को लेकर कांग्रेस एवं कुछ विपक्षी दलों ने आक्रामक रूख अपनाया हुआ है। शुक्रवार को लगातार चौथे दिन अपराह्न चार बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही कांग्रेस और द्रमुक समेत कई विपक्षी दलों के सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, सपा और बसपा के सदस्य भी अपने स्थान पर खड़े नजर आए जबकि तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने नारेबाजी में हिस्सा नहीं लिया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शोर-शराबे के बीच प्रश्नकाल शुरू कराया। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस के टीके से संबंधित कुछ पूरक प्रश्नों के उत्तर भी दिए। बिरला ने देश में कोरोना वायरस का टीका तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दते हुए कहा, ‘‘मैं अपने वैज्ञानिकों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने इतने कम समय में टीका तैयार किया और पूरे विश्व में देश का नाम रोशन किया।’’ इस दौरान विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी जारी रही। बिरला ने विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर जाने का आग्रह करते हुए कहा कि कोरोना वायरस टीके पर बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है। उन्होंने कहा कि सरकार जवाब देना चाहती है और सदस्य कृपया सहयोग करें। बिरला ने कहा कि प्रश्नकाल महत्वपूर्ण काल होता है और इसमें सदस्य जनता के मुद्दे उठाते हैं। स्थिति ज्यों की त्यों बने रहने पर लोकसभा अध्यक्ष ने करीब चार बजकर 15 मिनट पर सदन की कार्यवाही शाम छह बजे तक के लिए स्थगित कर दी। शाम छह बजे कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस समेत कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों की नारेबाजी जारी रही। शोर-शराबे के बीच ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आवश्यक कागजात सभापटल पर रखवाए। संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अगले सप्ताह की बैठकों में प्रस्तावित विधायी कामकाज की जानकारी दी।
अध्यक्ष बिरला ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थान पर जाने का आग्रह किया। हंगामा थमता नहीं देख उन्होंने सदन की बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया। गौरतलब है कि बुधवार को संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर उन्हें धन्यवाद देना हमारा संवैधानिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और उनकी विपक्षी दलों के नेताओं से इस संबंध में बात हुई थी और सहमति बनी थी। विपक्षी दलों के नेताओं को उसके अनुसार ही आचरण करना चााहिए। लोकसभा के कामकाज की सूची में शुक्रवार को गैर सरकारी कामकाज के तहत सदस्यों द्वारा निजी विधेयक पेश करना सूचीबद्ध था लेकिन हंगामे के कारण गैर सरकारी कामकाज भी नहीं हो सका।
सरकार ने किसानों के साथ किए वादों को नहीं निभाया, वापस ले तीनों कृषि कानून : विपक्ष
राज्यसभा में शुक्रवार को कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने सरकार पर किसानों के साथ किए गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए विवादों में घिरे तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बनाया। हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि भले ही सरकार इस कानून में संशोधन को तैयार हो गयी हो किंतु इसका यह अर्थ नहीं है कि इन कानूनों में खामी है। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने उच्च सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए तीन नये कृषि कानूनों को ‘‘काला कानून’’ बताने वाले विपक्षी नेताओं से सवाल किया कि उन्हें यह बताना चाहिए कि इनमें गड़बड़ी क्या है? तीनों नए कृषि कानूनों का बचाव करते हुए तोमर ने इन्हें किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला करार दिया। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि नए कानूनों को लेकर लोगों को बरगलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं और नए कानूनों का मकसद किसानों की आय में वृद्धि करना है। तोमर ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को एक राज्य का मसला बताया और कहा कि नए कानूनों में ऐसे कोई प्रावधान नहीं हैं जिनसे किसानों की जमीन छिन जाने का खतरा हो। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन विपणन समिति (एपीएमसी) के भीतर राज्य सरकार का टैक्स है और एपीएमसी के बाहर केंद्र सरकार का टैक्स है। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार का कानून एक कर को खत्म करता है और राज्य सरकार का कानून कर देने के लिए बाध्य करता है…तो जो कर ले रहा है और लगा रहा है और बढ़ा रहा है, आंदोलन उसके खिलाफ होना चाहिए या जो कर मुक्त कर रहा है उसके खिलाफ होना चाहिए?’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश में उलटी गंगा बह रही है।’’ ज्ञात हो कि कृषि कानूनों को लेकर पिछले दो महीने से अधिक समय से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। किसान संगठनों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच अब तक 11 दौर की वार्ता हुई है लेकिन नतीजा नहीं निकल सका है।
उच्च सदन में चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा, ‘‘महामारी से पहले ही देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी। हमारी जीडीपी टूट रही थी। इसके बादलॉकडाउन लागू किया गया और तब प्रवासी मजदूरों का जो हाल हुआ वह पूरे देश ने देखा। लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं और कई उद्योग हमेशा के लिए खत्म हो गए। इसके लिए सीधे सरकार जिम्मेदार है।’’ शर्मा ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर हुई घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए इसकी निष्पक्षता से जांच कराए जाने की मांग की। खड़गे ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने किसानों के साथ किए गए वादे पूरे नहीं किए और तीन ऐसे कृषि कानून बना दिए जो किसानों के हित में नहीं हैं। खड़गे ने तीनों कृषि कानूनों को तत्काल वापस लिए जाने की मांग करते हुए कहा, ‘‘(दिल्ली की) सीमाओं पर इन्हीं कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि ये कानून उनके हित में नहीं हैं।’’ शिवसेना नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि किसानों के आंदोलन को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है और किसानों के लिए खालिस्तानी, आतंकवादी जैसे शब्दों का उपयोग किया जा रहा है। बसपा के सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि सरकार नए कानूनों को डेढ़ साल के लिए स्थगित करने की बात कर रही है। ऐसे में उसे अपनी जिद छोड़कर इन कानूनों को वापस ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि नए कानूनों में कई खामियां हैं जिनसे किसानों को भय है कि उनकी जमीन चली जाएगी। चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के डॉ विनय पी सहस्रबुद्धे ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर सरकार को अहंकार छोड़ने की बात कही जाती है लेकिन सरकार ने लगातार बातचीत की पेशकश की और तीनों नए कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित करने का प्रस्ताव रखा। ‘‘हम अभी भी बात करने के लिए तैयार हैं। यह लचीलापन नहीं तो और क्या है।’’ कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने अपनी बात पंजाबी में रखी। उन्होंने कहा कि सितंबर माह में तीनों कृषि कानून पारित किए गए।
उन्होंने कहा, ‘‘तब भी मैंने इन कानूनों को किसानों का ‘डेथ वारंट’ बताया था। मेरी बात सही निकली। यह कानून कुछ बड़े कॉरपोरेट घरानों को लाभ देने के लिए लाए गए हैं।’’ शिरोमणि अकाली दल के सुखेदव सिंह ढींढसा ने कहा कि नए कानूनों को लेकर 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया। उन्होंने मांग की कि इस मुद्दे के हल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहल करनी चाहिए। भाकपा नेता विनय विश्वम ने दावा किया कि कोरोना वायरस महामारी फैलने के पहले ही देश की अर्थव्यवस्था खराब हो चुकी थी। उन्होंने मांग की कि युवाओं के लिए मनरेगा की तर्ज पर भगत सिंह रोजगार योजना शुरू की जानी चाहिए। राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि यह सोचने का विषय है कि अन्नदाता क्यों खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। भाजपा सदस्य के जे अल्फोंस ने कहा, ‘‘कोरोना काल में केंद्र ने जो राहत पैकेज दिया वह देश की मजबूत अर्थव्यवस्था का परिचायक है। कोरोना काल में ही भारत में दुनिया में सर्वाधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया। हमारा देश दुनिया में सबसे अधिक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और इसका श्रेय हमारे दृढ़ संकल्प तथा मजबूत नेतृत्व को जाता है।’’ चर्चा में भाग लेते हुए बीजद सदस्य सस्मित पात्रा ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में फसलों की लागत पर डेढ़ गुना एमएसपी रखने की बात कही गयी है। उन्होंने कहा कि अगर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को सही तरीके से लागू किया जाए तो मौजूदा एमएसपी में खासी वृद्धि करनी होगी। राज्यसभा सदस्य और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने मौजूदा किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक लगाए जाने के बाद भी आंदोलन को इतना लंबा नहीं खींचना चाहिए था। मनोनीत डॉ सोनल मानसिंह ने कहा, ‘‘भारत अपने विशिष्ट मूल्यों के लिए दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है। भारत की नयी शिक्षा नीति उसकी इसी पहचान को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम है।
बर्ड फ्लू के खिलाफ टीके के इस्तेमाल को अनुमति नहीं दी गई: सरकार
भारत ने बर्ड फ्लू के खिलाफ किसी भी टीके के उपयोग की अनुमति नहीं दी है और न ही अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे अन्य देशों ने इस तरह के किसी भी टीके को मंजूरी दी है। सरकार ने संसद को शुक्रवार को यह जानकारी दी। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री संजीव कुमार बाल्यान ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ‘‘विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (ओआईई) के अनुसार, अगर रोग का उन्मूलन ही अपेक्षित परिणाम है, तो टीकाकरण को एवियन इन्फ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) के नियंत्रण के लिए समाधान नहीं माना जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि जिन कुक्कुटों का टीकाकरण किया जाता है, वहां निगरानी तंत्र, कड़ी जैव सुरक्षा आदि के बिना वायरस के स्थानीय रूप लेने की आशंका होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे में वायरस के लंबे समय तक बने रहने से वायरस में एंटीजेनिक और आनुवांशिक दोनों परिवर्तन हो सकते हैं और यह कई देशों में हुआ भी है। मंत्री ने आगे बताया कि टीकाकरण के लंबे समय तक उपयोग से या तो रोग स्थानीय बन सकता है और इसलिए व्यापक हो सकता है, या प्रभावित जानवरों में संक्रमण का पता लगाना बहुत मुश्किल हो सकता है। एक अलग प्रश्न के उत्तर में, मंत्री ने कहा कि 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों – केरल, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार, राजस्थान, दिल्ली और जम्मू एवं कश्मीर में व्यावसायिक रूप से पाले जाने वाले पक्षियों और जंगली पक्षियों के बीच बर्ड फ्लू की पुष्टि की गई है। उन्होंने कहा कि अब तक केंद्र ने बर्ड फ्लू के नियंत्रण के लिए इन 14 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को 103.56 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की है।
अप्रैल-अक्टूबर 2020 में डेयरी उत्पाद निर्यात 3.2 प्रतिशत घटा: सरकार
सरकार ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण भारत के डेयरी उत्पादों के निर्यात में अप्रैल-अक्टूबर 2020 के दौरान रुपये के आधार पर 3.2 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन इस क्षेत्र को घाटे से उबारने में मदद करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री संजीव कुमार बाल्यान ने कहा कि कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और सरकार विभिन्न कार्यक्रमों को लागू कर रही है, ताकि ‘‘डेयरी उद्योग को हुए नुकसान से उबरने के लिए विभिन्न कार्यक्रम’’ लागू किए जा सकें।’’ हालांकि, सरकार ने रुपए के संदर्भ में सटीक निर्यात का आंकड़ा साझा नहीं किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 में अप्रैल-अक्टूबर की अवधि की तुलना में अप्रैल-अक्टूबर 2020-21 के दौरान निर्यात (रुपये) में लगभग 3.2 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिसकी जिम्मेदारी कोविड-19 को दिया जाता है। डेयरी उत्पादों के आयात के मामले में, मंत्री ने कहा कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2020-21 की अप्रैल-अक्टूबर अवधि में इसकी मात्रा और मूल्य दोनों में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि अप्रैल-अक्टूबर 2020 के दौरान देश में 26,496.56 टन डेयरी उत्पादों का आयात हुआ, जो कि 805.42 करोड़ रुपये का था, जबकि साल भर पहले की समान अवधि में 831.82 करोड़ रुपये के मूल्य के साथ इस आयात की मात्रा 33,829.83 टन थी। मंत्री ने कहा कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, सरकार, डेयरी प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचा विकास कोष (डीआईडीएफ), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) और सहायक डेयरी सहकारिता और किसान उत्पादक संगठन (एसडीसीएफपीओ) जैसी योजनाओं को लागू कर रही है। एक अलग उत्तर में, मंत्री ने कहा कि किसानों को महामारी के दौरान वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा और इस मुद्दे को हल करने के लिए, दुग्ध सहकारी समितियों के डेयरी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) वितरित करने के लिए एक विशेष अभियान का आयोजन किया गया। अभियान के अंत तक, डेयरी किसानों द्वारा लगभग 52.46 लाख फार्म भरे गए और 44.83 लाख फार्म बैंकों में जमा किए गए। मंत्री ने कहा कि 22 जनवरी 2021 तक डेयरी गतिविधियों के लिए 5.72 लाख नए केसीसी को मंजूरी दी गई जिसमें आवंटन की सीमा 3,841.74 करोड़ रुपये है।
नयी खेलो इंडिया योजना लाने की तैयारी में है सरकार
सरकार ‘नयी खेलो इंडिया योजना’ लाने की तैयारी में है जिसे वित्त मंत्रालय की अनुमति के बाद अधिसूचित किया जाएगा। सरकार ने संसद की एक समिति को बताया है। संसद में पेश ‘खेलो इंडिया योजना’ विषय पर शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल मंत्रालयों संबंधी संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा कि विभाग को पहले आवंटित निधि का समुचित तरीके से उपयोग करने के ठोस प्रसास करने चाहिए और फिर पर्याप्त संसाधनों को प्राप्त करने की पहल करनी चाहिए। समिति ने सुझाव दिया कि विभाग को खेल के क्षेत्र में संसाधन जुटाने के लिये निजी, कारपोरेट क्षेत्र में सम्पर्क करना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार समिति यह भी सिफरिश करती है कि नयी खेलो इंडिया योजना को सांसद निधि (एमपीलैड) योजना के साथ जोड़े जाने पर जल्द अनुमोदन दिया जाना चाहिए। रिपोर्ट में समिति की सिफारिशों पर सरकार के जवाब का उल्लेख करते हुए कहा गया कि एमपीलैड योजना के साथ खेलो इंडिया योजना के सम्मिलन की सिफारिश पर इस योजना के संशोधन के समय विधिवत जांच की जायेगी। इसमें कहा गया है कि वर्तमान खेलो इंडिया योजना 31 मार्च 2021 तक प्रभावी रहेगी। नयी खेलो इंडिया योजना के लिये वित्त व्यय आयोग का ज्ञापन मसौदा 25 नवंबर 2020 के कार्यालय ज्ञापन द्वारा विभिन्न मंत्रालयों/विभागों को भेजा गया है जिसमें नयी खेलो इंडिया योजना के संबंध में टिप्पणियां मांगी गई थी। इसमें कहा गया है कि टिप्पणियां प्राप्त होने पर नयी खेलो इंडिया योजना हेतु व्यय वित्त आयोग ज्ञापन को वित्त मंत्रालय के समक्ष अनुमति के लिये पेश किया जायेगा और इसके बाद योजना को अधिसूचित किया जायेगा।
सरकार किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रच रही: शिवसेना
शिवसेना ने शुक्रवार को दावा किया कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा आंदोलन सिर्फ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का नहीं बल्कि पूरे देश का आंदोलन है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रच रही है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए शिव सेना नेता संजय राउत ने यह कहते हुए भी सरकार पर निशाना साधा कि उससे सवाल पूछने या उसकी आलोचना करने वालों पर आज देशद्रोह का मुकदमा दायर कर दिया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी को प्रचंड बहुमत मिला है और हम इसका सम्मान करते हैं। बहुमत देश चलाने के लिए होता है। बहुमत अहंकार से नहीं चलता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘निंदा करने वालों को आप बदनाम कर देते हैं। जैसे किसान आंदोलन आंदोलन को बदनाम करने की साजिश चल रही है। यह देश की प्रतिष्ठा के लिए ठीक नहीं है, यह देश के किसानों के लिए और हम सब के लिए ठीक नहीं है।’’ गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर हुई घटना का उल्लेख करते हुए राउत ने कहा कि इस मामले का मुख्य आरोपी अभी तक पकड़ा नहीं गया है जबकि 200 से अधिक किसानों को जेल में बंद कर देशद्रोह का मुकदमा दायर कर दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘लाल किले का अपमान करने वाला दीप सिद्धू कौन है? किसका आदमी है? इस बारे में क्यों नहीं बताया जाता? किसने उसे ताकत दी? अब तक वह पकड़ा नहीं गया लेकिन 200 से ज्यादा किसान इस प्रकरण में बंद हैं और उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दायर कर दिया गया है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि हक के लिए लड़ने वाले किसानों को इस सरकार ने देशद्रोही बना दिया है। राउत ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान पूरे देश के किसानों की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ तीन राज्यों की लड़ाई नहीं है। पूरा देश उनके साथ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सिख भाई जब मुगलों के खिलाफ लड़े तो योद्धा कहलाए, अंग्रेजों से लड़े तो देशभक्त और कोरोना के समय लंगर लगाये तो देशप्रेमी हो गये। लेकिन वह जब अपने हक के लिए लड़े तो वह खालिस्तानी और देशद्रोही हो गये।’’ किसानों के आंदोलन स्थलों के इर्दगिर्द सुरक्षा कड़ी किए जाने और इसके मद्देनजर सड़कों पर किले और अवरोधक लगाने का उल्लेख करते राउत ने केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि ऐसी व्यवस्था यदि लद्दाख में सीमा पर की गई होती, तो चीन भारत के अंदर नहीं आता। शिव सेना नेता ने कहा कि आज देश में ऐसा माहौल हो गया है कि सच बोलने वालों को गद्दार और देशद्रोही कहकर पुकारा जाता है। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह, कांग्रेस नेता शशि थरूर और राजदीप सरदेसाई सहित कुछ पत्रकारों के खिलाफ दर्ज मुकदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज जो सरकार से सवाल पूछता है उस पर देशद्रोह का मुकदमा ठोक दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कानून की किताब से आईपीसी की धाराएं खत्म करके, एक ही धारा कर दी गई है और वह है देशद्रोह की। घरेलू हिंसा के मामलों में भी देशद्रोह का मुकदमा ठोंक दिया जाता है।
37 मेगा फूड पार्क में से 22 परिचालन में: सरकार
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने शुक्रवार को संसद को बताया कि देश भर में स्वीकृत 37 में से 22 मेगा फूड पार्क परिचालन में हैं। मंत्री ने राज्यसभा में अपने लिखित जवाब में आंकड़ा पेश करते हुए कहा कि परिचालित मेगा फूड पार्क- असम, पंजाब, ओडिशा, मिजोरम, महाराष्ट्र सहित 15 राज्यों में स्थित हैं। मेगा फूड पार्क योजना के तहत, सरकार ने देश में 42 मेगा फूड पार्क को मंजूरी प्रदान की थी। उन्होंने कहा, मौजूदा समय में, मंत्रालय ने मेगा फूड पार्क योजना के तहत देश में दो मेगा फूड पार्क के लिए सैद्धांतिक मंजूरी तथा 37 मेगा फूड पार्कों को अंतिम मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि जिन दो परियोजनाओं के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है, वे मेघालय और तमिलनाडु में स्थापित होने जा रही हैं। मंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि मंत्रालय की मेगा फूड पार्क योजना के तहत देश में तेलंगाना राज्य सहित कहीं भी नए मेगा फूड पार्क स्थापित करने के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।