अल्पसंख्यकों की स्थिति पर सरकार की नजर, हसीना ने भारत आने की मांगी थी इजाजत- जयशंकर

बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच सरकार ने मंगलवार को संसद के दोनों सदनों को हालात के बारे में बताया। इस दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा और राज्यसभा में बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के मामले में स्थिति पर नजर रख रहा है। अपने राजनयिक मिशनों के जरिए हम वहां के भारतीय समुदाय के साथ संपर्क में हैं। पड़ोसी देश में इस जटिल और अभी भी लगातार अस्थिर बने हुए हालात को देखते हुए सीमा सुरक्षा बलों को सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है।

शेख हसीना के भारत आने पर क्या कहा?
संसद में दिए गए बयान में विदेश मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत आने को लेकर भी सरकार का रुख साफ किया। उन्होंने हसीना के बहुत कम समय के नोटिस पर भारत आने के अनुरोध के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि पांच अगस्त को प्रदर्शनकारी कर्फ्यू के बावजूद ढाका में एकत्र हुए। हमारी समझ यह है कि सुरक्षा संस्थानों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देने का फैसला किया। बहुत कम समय के नोटिस पर न्होंने कुछ समय के लिए भारत आने की मंजूरी मांगी। विदेश मंत्री ने कहा कि हमें बांग्लादेश के अधिकारियों से उड़ान की मंजूरी के लिए अनुरोध मिला। इसके बाद हसीना वह कल शाम दिल्ली पहुंचीं। 

कितने भारतीय बांग्लादेश में मौजूद?
जयशंकर ने बताया कि अनुमान है कि पड़ोसी देश में 19,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से लगभग 9,000 छात्र हैं। हालांकि, ज्यादातर छात्र जुलाई के महीने में ही भारत लौट आए।

भारतीय समुदाय के साथ संपर्क में
जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने पांच अगस्त को राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने हालात को संभालने और अंतरिम सरकार के गठन की बात की। हम अपने राजनयिक मिशनों के माध्यम से बांग्लादेश में भारतीय समुदाय के साथ में हैं। भारत अल्पसंख्यकों की स्थिति के संबंध में भी स्थिति की निगरानी कर रहा है।

भारत पर असर पर क्या बोले?
जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश के साथ भारत के दशकों से गहरे संबंध हैं। वहां के हालात से यहां भी चिंता उत्पन्न हुई है। वहां जून से हालात बिगड़ने शुरु हुए और यह सिलसिला अब तक जारी है। जो कुछ पड़ोसी देश में हुआ, उसका एक सूत्री एजेंडा यह था कि प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा दे दें।

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