पटना। Bihar Politics In Hindi हम के संस्थापक एवं केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को कहा कि क्रीमी लेयर नहीं होना चाहिए मगर जिसकी जितनी संख्या है, उस आधार पर आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। क्रीमी लेयर और कोटे में कोटा दो अलग बातें हैं। हम भी मंत्रिमंडल में थे। हमारी भी बात हुई है।
मांझी ने कहा कि प्रधानमंत्री का निर्देश है क्रीमी लेयर नहीं होना चाहिए, यह सही बात है। अनुसूचित जाति (एससी) में जो लोग हैं, उसमें ओबीसी की तरह क्रीमी लेयर नहीं होना चाहिए, लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो आजादी के इतने साल बाद भी हाशिए पर हैं, उनके लिए तो व्यवस्था होनी चाहिए। जनसंख्या के आधार पर बात होनी चाहिए।
चार विकसित जातियों को कहते हैं डी-फोर- मांझी
मांझी ने कहा कि एससी में बिहार में 21 जातियां हैं। इनमें से चार विकसित जातियां हैं, जिसे डी-फोर कहते हैं। आज के समय में जज, कलेक्टर, चीफ इंजीनियर, डॉक्टर, बैंकिंग या रेलवे में इन्हीं चार जातियों की 90 प्रतिशत भागीदारी है।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि इसके अलावा जो भुइयां, नट, मेहतर जैसी बाकी जातियां हैं, उनको आज तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है। हमने कैबिनेट में भी कहा है कि इनके लिए अलग से व्यवस्था होनी चाहिए।
वहीं, चिराग पासवान के सवाल पर मांझी ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने तो कहा था कि हर दस साल पर आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए। इस हिसाब से अभी तक पांच से छह बार समीक्षा हो जानी चाहिए थी, इसपर वह क्यों नहीं बोलते?
बता दें कि चिराग पासवान ने आरक्षण को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी लोजपा (रामविलास) शीर्ष कोर्ट में इसको लेकर पुनर्विचार याचिका भी दायर करेगी।