पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा के विरोध में रविवार को कनाडा के टोरंटो शहर में प्रदर्शन हुआ। हिंसा के विरोध में एकजुटता दिखाते हुए हिंदू, ईसाई, बौद्ध और यहूदी समुदायों के हजारों लोग एकत्र हुए।
टोरंटो के डाउनटाउन में आयोजित विरोध प्रदर्शन में लोगों को ‘हम न्याय चाहते हैं’ के नारे लगाते देखा गया। प्रदर्शनकारियों ने कनाडा सरकार से हिंदुओं की रक्षा के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने का आग्रह किया। प्रदर्शनकारियों में एक ने अफसोस जताते हुए कहा कि उन्होंने टोरंटो में बांग्लादेशी मस्जिदों को ई-मेल भी भेजे थे। लेकिन उन्होंने अभी तक जवाब नहीं दिया है।
उन्होंने कहा, हमने टोरंटो में बांग्लादेशी मस्जिदों को ई-मेल भेजे हैं। अब तक, हमने उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं सुनी है। हम इंतजार करेंगे। शायद वे सप्ताहांत के कारण व्यस्त हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा है, वह अपने भाइयों के साथ खड़े हैं।
प्रदर्शनकारी ने आगे कहा कि विभिन्न समुदायों के लोग अभूतपूर्व संख्या में एकत्र हुए हैं, जो एक अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा, अगर वे भी एकजुटता में खड़े होते तो हमें अच्छा लगता। विभिन्न समुदायों के लोग यहां अभूतपूर्व संख्या में हैं, जो एक अच्छा संकेत है। निराश करने वाली बात यह है कि उनकी कनाडा की राजनीति में भी भागीदारी है। लेकिन ई-मेल, ट्वीट और कॉल के बाद भी वे हमारी बात नहीं सुन रहे हैं।
विभिन्न समुदायों के नेताओं ने भी हिंदुओं पर हमलों पर अपनी चिंता जताई। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुरुवार को एक्स पर एक संदेश में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सरक्षण का आह्वान किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को नया कार्यभार संभालने पर मेरी ओर से शुभकामनाएं। हम हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए जल्द सामान्य स्थिति में लौटने की उम्मीद करते हैं। भारत शांति, सुरक्षा, विकास और दोनों देशों के लोंगो की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हिंसा से बचने के लिए हजारों बांग्लादेशी हिंदू पड़ोसी देश भारत भाग रहे हैं। बांग्लादेश की 17 करोड़ की आबादी में करीब आठ फीसदी हिंदू हैं और उन्होंने पारंपरिक रूप से हसीना की अवामी लीग पार्टी का समर्थन किया है। हसीना सरकार को पिछले महीने आरक्षण विरोधी प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प के बाद इस्तीफा देना पड़ा था।