डीआरडीओ ने स्वदेशी रूप से विकसित मानव-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) हथियार प्रणाली का सफलतापूर्वक फील्ड परीक्षण किया। डीआरडीओ अधिकारी ने बताया कि डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने हाल ही में राजस्थान के जैसलमेर स्थित फील्ड फायरिंग रेंज में भारत में निर्मित मानव-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (MP-ATGM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। जानकारी के अनुसार, इस हथियार प्रणाली को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने डिजाइन और विकसित किया है। समग्र प्रणाली में एमपीएटीजीएम, लांचर, लक्ष्य प्राप्ति उपकरण और एक अग्नि नियंत्रण इकाई शामिल
डीआरडीओ अधिकारियों ने बताया कि यह परीक्षण राजस्थान के जैसलमेर स्थित फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया। एमपी-एटीजीएम एक कंधे से दागी जाने वाली मिसाइल प्रणाली है जिसे दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को बेअसर करने के लिए डिजाइन किया गया है। स्वदेशी रूप से विकसित यह टैंक रोधी मिसाइल कम वजन वाली, दागो और भूल जाओ मिसाइल है, जिसे थर्मल साइट से एकीकृत मानव पोर्टेबल लांचर से प्रक्षेपित किया जाता है।
एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल वेपन सिस्टम का भी हो चुका है परीक्षण
मिसाइल में नियंत्रण और मार्गदर्शन के लिए लघु इन्फ्रारेड इमेजिंग सीकर और उन्नत एवियोनिक्स लगाये गये हैं। पहले के परीक्षणों में मिसाइल का प्रदर्शन अधिकतम सीमा तक सिद्ध हो चुका है। रिपोर्टों के अनुसार, एमपीएटीजीएम, जिसे ट्राइपॉड का उपयोग करके प्रक्षेपित किया जाता है, को 2.5 किमी की अधिकतम सीमा के लिए डिजाइन किया गया है, तथा इसका प्रक्षेपण भार 15 किलोग्राम से कम है। इससे पहले अप्रैल में डीआरडीओ और भारतीय सेना ने स्वदेशी मानव पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल वेपन सिस्टम का सफल परीक्षण किया था। 13 अप्रैल को राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में वारहेड उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किए गए।
डीआरडीओ ने कहा था कि मिसाइल का प्रदर्शन और वारहेड का प्रदर्शन उल्लेखनीय पाया गया। डीआरडीओ ने कहा था कि एमपीएटीजीएम की टेंडम वारहेड प्रणाली का भेदन परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है और यह आधुनिक कवच-संरक्षित मुख्य युद्धक टैंक को परास्त करने में सक्षम पाया गया है। उन्होंने कहा कि एटीजीएम प्रणाली दिन/रात तथा शीर्ष हमले की क्षमता से सुसज्जित है।