सरकार का ट्विटर को खालिस्तान और पाकिस्तान से संबंधित 1,178 अकाउंट्स ब्लॉक करने का आदेश

किसान आंदोलन को लेकर हाल ही में ट्विटर पर ट्वीट को लेकर बहुत विवाद हुआ. विदेशी हस्तियों ने भी किसान आंदोलन पर भारत सरकार से सवाल किया, जिसे लेकर अभी भी विवाद जारी है. इसी बीच केंद्र ने माइक्रो-ब्लॉगिंग दिग्गज को एक नया नोटिस दिया है, जिसमें 1,178 खातों को ब्लॉक करने के लिए कहा गया है, बताया जा रहा है ये वो अकांउट हैं जो खालिस्तान से जुड़े हुए हैं या पाकिस्तान से समर्थित है.

257 हैंडल के अलावा केंद्र की मांग है इन अकांउट को पहले रोका जाना चाहिए. सूत्रों ने कहा कि हालिया नोटिस गुरुवार को जारी किया गया था, लेकिन ट्विटर को आईटी अधिनियम की धारा 69 ए के तहत जारी निर्देशों का पालन करना बाकी है. सूत्रों ने बताया कि ताजा मांग आईटी मंत्रालय की तरफ से की गई है, क्योंकि उसे MHA और सुरक्षा एजेंसियों से एक सलाह मिली है. ट्विटर के प्रवक्ता ने इस मामले पर पूछे गए प्रशनों का जवाब नहीं दिया.

एक सूत्र ने कहा, “ब्लॉक किए गए आदेश खालिस्तान सहानुभूति रखने वाले, या पाकिस्तान की तरफ से समर्थित और विदेशी क्षेत्रों से संचालित होने वाले यूजर्स के लिए हैं जो किसानों के विरोध प्रदर्शन पर गलत सूचना और उत्तेजक सामग्री को साझा करने और बढ़ाने के लिए उपयोग किए गए थे.”

सरकार का विचार है कि रोके जाने वाले खातों के माध्यम से की जाने वाली गतिविधियां देश के कुछ हिस्सों में चल रहे किसान विरोध के मद्देनजर “सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करने” की क्षमता रखती हैं. ऐसा तब हुआ जब उस समय हुआ जब सरकार ने ट्विटर को चेतावनी दी है कि उसके अधिकारी सात साल तक की जेल की सजा काट सकते हैं और कंपनी को आदेशों का पालन करने से इनकार करने पर जुर्माना लगाया गया है.

ट्विटर अदालतों में अपील दायर करने के लिए है स्वतंत्र

ट्विटर ने कहा था कि उसने ज्यादातर खातों को ब्लाक करने का फैसला किया था क्योंकि उनकी तरफ से भेजे गए ट्वीट अधूरे और और ताजा मामलों जैसे किसान आंदोलन से जुड़े हैं. आईटी मंत्रालय स्पष्ट रूप से सहमत नहीं था.

पहली सूची में जिन 257 खातों का उल्लेख किया गया था, उन्हें लाने के बाद ( ModiPlanning-FarmerGenocide से संबंधित किसान विरोध), ट्विटर ने तेजी से उनमें से ज्यादातर को अनब्लॉक कर दिया था, आईटी मंत्रालय में अधिकारियों ने नाराजगी जताई थी ,जिसकी अध्यक्षता रविशंकर प्रसाद ने की. कंपनी को एक डिटेल्ड नोटिस भेजा, जिसमें उन्हें अपने आदेशों का पालन करने के लिए कहा. सरकार को लगता है कि ट्विटर अदालतों में अपनी कार्रवाई के खिलाफ अपील दायर करने के लिए स्वतंत्र है अगर वह फैसले से सहमत नहीं है.

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