निकाह को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा के बयान पर सुन्नी बरेलवी उलमा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि काजी का निकाह पढ़ाना शरीयत का मामला है। इसमें मुख्यमंत्री सियासत न करें। वह मुसलमानों के मामले में कम बयान दें तो अच्छा है।
असम के मुख्यमंत्री के काजी अब निकाह नहीं पढ़ाएंगे, बल्कि रजिस्ट्रेशन कराने का कानून बनाया जाएगा वाले बयान पर मौलाना शाहबुद्दीन ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री रोजाना ऐसे बयान और कानून लाने की बात करते हैं जो मुसलमानों के खिलाफ हैं। निकाह की जगह रजिस्ट्रेशन वाले कानून लाने पर मुस्लिम लड़के और लड़कियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
‘असम के मुसलमानों को परेशान किया’
उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम से मुसलमानों को प्रताड़ित किया। फिर 1200 मदरसों की मान्यताएं खत्म की और उन मदरसों का मदरसे का दर्जा खत्म करके उन्हें स्कूल में तब्दील कर दिया। एनआरसी के नाम से असम के मुसलमानों को परेशान किया गया। अब इस जुल्म को मुसलमान सहन नहीं कर सकता है।
मौलाना ने केंद्र और राज्य की अन्य सरकारों से अपील करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि वह लोग मजहबी मामलात में हस्तक्षेप न करें। सीएम हिमंत बिस्वा के बयानों से न सिर्फ असम बल्कि पूरे देश के मुसलमानों में परेशानी का माहौल पैदा हो गया है, क्योंकि काजी का निकाह पढ़ाना पूरी तरह से शरीयत से जुड़ा मामला है।