दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ‘प्रगति’ बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में 11 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की सात प्रमुख परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। इन परियोजनाओं की लागत करीब 75 हजार करोड़ रुपये है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य स्तर पर सभी सरकारी अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि परियोजनाओं में देरी से न केवल लागत बढ़ती है। बल्कि जनता को भी परियोजनाओं के लाभ से वंचित रहना पड़ता है। प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से इस मुद्दे पर संवेदनशील बनने की सलाह दी।
प्रधानमंत्री ने आज प्रगति की 44वीं बैठक की अध्यक्षता की। प्रगति एक सूचना एवं संचार तकनीकी आधारिक बहु-आयामी मंच है, जिसका मकसद सक्रिय शासन और समय पर क्रियान्वयन है। इस बैठक में सड़क, रेल, कोयला, उर्जा और जल संसाधन के क्षेत्रों से जुड़ी परियोजनाओं की समीक्षा की गई।
बयान में कहा गया, प्रधानंत्री ने कहा कि इन परियोजनाओं का फोकस शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्याओं पर है। पानी इंसानों की एक बुनियादी जरूरत है और राज्य सरकारों को जिला और राज्य स्तर पर शिकायतों के गुणवत्तापूर्ण निस्तारण को सुनिश्चित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जल जीवन परियोजना की सफलता के लिए उचित संचालन और रखरखाव तंत्र महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को शामिल करने और युवाओं को संचालन और रखरखाव के काम में प्रशिक्षित करने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है। उन्होंने अमृत 2.0 और जल जीवन मिशन से जुड़ी सार्वजनिक शिकायतों की भी समीक्षा की और जल संसाधन के सर्वेक्षण को जिला स्तर पर कराने की बात की। प्रगति की 44वीं बैठक तक 355 परियोजनाओं की समीक्षा की जा चुकी है, जिनकी कुल लागत 18.12 लाख करोड़ रुपये है।
76,500 करोड़ रुपये से अधिक की जिन सात प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा की गई है, वे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा, गोवा, कर्नाक, छत्तीसगढ़ और दिल्ली समेत 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़ी हैं।