ठाणे के बदलापुर में हत्या के प्रयास और डकैती के मामले में पुलिस की सुस्त कार्रवाई और समझौता करने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने हैरानी जताई। साथ ही पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि यह आपराधिक न्याय प्रणाली का मजाक है। न्यायाधीश एएस गडकरी और नीला गोखले ने कहा कि हत्या का प्रयास और डकैती गंभीर अपराध हैं। इनकी उचित तरीके से जांच की जानी चाहिए थी।
हाईकोर्ट की पीठ दो व्यक्तियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। इसमें एक युवक और उसकी मां के खिलाफ तलवार और लोहे की रॉड पर हमला करने और डकैती के आरोप में दर्ज मुकदमे को रद्द करने की मांग की गई थी। मामले में पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपियों ने उनको मामले में समझौता करने के लिए पत्र दिया था, इसलिए जांच रोक दी गई।
पुलिस के इस बयान पर कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि मामला हत्या के प्रयास और डकैती का था। यह आरोपियों के खिलाफ कथित अपराध गंभीर प्रकृति का है। यह कानून की धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 397 (डकैती) के तहत बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ अपराध है। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बावजूद जांच अधिकारी को जांच पूरी करनी चाहिए थी।
पीठ ने यह भी कहा कि मामले में हत्या के प्रयास अपराध की जांच बेहद निराशाजनक और सुस्त तरीके से की गई। इससे साफ है जांच अधिकारी ने आपराधिक न्याय प्रणाली का मजाक उड़ाया। पुलिस को गंभीर अपराधों की जांच करनी चाहिए। क्योंकि पुलिस अपराध और उसके बाद दोनों पक्षों में समझौता हो जाने के बाद मूकदर्शक नहीं बन सकती।
कोर्ट ने कहा कि जिस तरह मामले की जांच की गई उससे पुलिस की ईमानदारी पर संदेह होता है। ऐसा लगता है कि जांच अधिकारी मामले की जांच से बचते रहे और आरोपियों के दबाव में काम कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि मामले को ठाणे पुलिस आयुक्त के संज्ञान में लाकर विस्तृत हलफनामा दायर करना चाहिए। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को अगली सुनवाई में हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए। मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी।