2047 के मनसूबे को पूरा करने के प्रयोग है ट्रेन हादसे


रविवार को कानपुर से भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस को पलटने (दुर्घटनाग्रस्त) के म‌कसद से पटरी पर ईंधन गैस का सिलेंडर रख दिया गया। इंजन चालक ने सिलेंडर के टकराते ही आपातकालीन ब्रेक लगा कर ट्रेन रोक दी। गैस सिलेंडर पटरी के किनारे जा गिरा किन्तु फटा नहीं। लोको पायलट ने इसकी सूचना अधिकारियों को दी। पटरी के पास मोमबत्ती, माचिस, पैट्रोल बम तथा नजदीक की झाड़ियों से एक थैला व लोहे के टुकडे बरामद हुए। एक मास के मीटर ट्रेन पलटते की यह तीसरी कोशिश की। इससे पहले रेलवे लाइन पर लकड़ी का 35 किलोग्राम का लट्‌ठा, बाइक का लोहे का पहिया और कंकरीट का स्लीपर रखा गया था। कुछ रेलवे ट्रैकों की फिशप्लेटें खुली मिली थीं। चंद महीने पहले रेलवे ने सिग्नलों के करोड़ों रुपये मूल्य के उपकरण चुरा लिए गए थे। जिस दिन कालिंदी एक्प्रेस पलटने की कोशिश हुई उसी दिन उत्तर पश्चिम रेलवे के अजमेर ट्रैक के सराधना व बांगड़ रेलवे स्टेशन के बीच मालगाड़ी पलटने के उद्देशय से 70-70 किलो वजन के सीमेंट के बोल्डर रख दिए गए किन्तु ट्रैन चालक ने सावधानी बरती।

कुछ समय पूर्व राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सूचना मिली थी कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन पी.एफ.आई. ने देशभर में ट्रेनों को पलटने की योजना बनाई है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और यहां बड़ी आबादी विशेष सम्प्रदाय की है इसलिए इस विध्वंसक योजना को कार्यरूप देने में पीएफआई. को आसानी है। स्लीपिंग सैल के गुर्गों को बचाने के लिए कांग्रेस व सपा जैसे दल किसी भी अपराधी को शिकंजे में लेते ही कौवे की तरह काँव-काँव करना शुरू कर देते हैं। यह आतंकियों एवं विध्वंसको की प्रथम रक्षा पंक्ति सिद्ध हो रही है। न्यायपालिका के कुछ अधिकारी कानून की दुम पकड़ कर इनके प्रति नर्म रुख अपनाते हैं।

बहरहाल कालिन्दी एक्सप्रेस पलटने की साजिश की तह तक जाने के लिए 6 जांच एजेंसियां जुटी हैं। आरोप सिद्ध होते ही अपराधियों को फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए, क्यूंकि वे 2047 तक पी.एफ.आई. को गजवा-ए-हिंद के मनसूबे को पूरा करने में जुटे हैं। ट्रेने पलटना एक खतरनाक ट्रायल है। यह संयोग नहीं, प्रयोग है।

गोविन्द वर्मा

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