नीतीश कुमार की जेडीयू ने भी वन नेशन वन इलेक्शन का किया समर्थन

देश में जब-जब चुनावों का दौरा शुरू होता है तो वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर चर्चा शुरू हो जाती है. अब जब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं तो यह चर्चा एक बार फिर से जोर पकड़ चुकी है. दूसरी ओर मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का 100 दिन भी पूरा हो चुका है. केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी इसे लेकर पहले से ही मुखर रही है. पीएम मोदी खुद इसका वकालत कर चुके हैं.अब जेडीयू ने भी कहा है कि वो वन नेशन वन इलेक्शन के पक्ष में है.

पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि एक देश-एक चुनाव पर उनकी पार्टी और एनडीए की राय एक समान है. उन्होंने कहा कि हम यह मानते हैं कि इससे देश में नीतियों की निरंतरता जारी रहेगी. बार-बार होने वाले चुनाव से विकास की योजनाओं की गति में रुकावट पैदा होती है और तमाम तरह की परेशानियां भी आती हैं. ऐसे में जब देश में वन नेशन वन इलेक्शन की व्यवस्था होगी तो इससे निजात मिलेगी. देश में एक बार में ही चुनाव की व्यवस्था होने पर मतदाता भी बढ़ चढ़कर इसमें हिस्सा लेंगे. विकास के काम भी निर्बाध गति से आगे बढ़ता रहेगा.

वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर विधेयक ला सकती है सरकार

सूत्रों के मुताबिक खबर आई है कि केंद्र सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बड़ा कदम उठा सकती है. माना जा रहा है कि सरकार इसके लिए संसद में विधेयक लाने की भी तैयारी कर रही है. सरकार का मानना है कि देश में सालभर चुनाव चलते रहते हैं. चुनाव की वजह से जब राज्यों में आदर्श आचार संहिता लगती है तो उससे विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है. ऐसे में अगर एक ही बार में पूरे देश में एक साथ चुनाव होते हैं फिर बार-बार आने वाली रुकावटें खत्म हो जाएंगी.

आजादी के बाद देश में हुए थे एक साथ चुनाव

ऐसा भी नहीं है कि पूरे देश में कभी एक साथ चुनाव नहीं हुए हैं. आजादा की बाद 1951 में पहली बार चुनाव हुए थे. यह चुनाव पूरे देश में एक साथ ही हुए थे. इसके बाद 1967 तक देश में एक साथ ही चुनाव होते रहे. व्यवस्था तब बिगड़ गई जब बीच में कुछ राज्यों की सरकारें पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और वहां फिर से चुनाव कराने पड़े. इसकी वजह से धीरे-धीरे गैप बढ़ता गया और अब साल भर देश के किसी ने किसी हिस्से में चुनाव होता रहता है.

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