भारत सरकार द्वारा सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को नोटिस दिए जाने के कुछ दिनों बाद अब इस्लामाबाद की ओर से जवाब आया है। पाकिस्तान सरकार ने गुरुवार को कहा कि वह इस समझौते को महत्वपूर्ण मानता है और उम्मीद करता है कि नई दिल्ली भी इसके प्रावधानों का पालन करेगा। भारत और पाकिस्तान ने 9 सालों की बातचीत के बाद 19 सितम्बर 1960 को सिंधु जल संधि (आईडब्लूटी) पर हस्ताक्षर किये थे। जिसका एकमात्र उद्देश्य सीमा पार की नदियों का प्रबंधन करना था।
सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया था कि भारत ने 30 अगस्त को पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजकर 64 वर्ष पुराने समझौते की समीक्षा करने की मांग की थी। इसमें लगातार सीमापार आतंकवाद के कारण परिस्थितियों में आए “मौलिक और अप्रत्याशित” बदलावों का हवाला दिया गया था। बता दें कि, संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत इस बात को भी शामिल किया गया था कि, समय-समय पर दोनों सरकारों के बीच बातचीत के जरिए संधि में संशोधन कर सकती हैं।
भारत के नोटिस पर इस्लामाबाद का जवाब
भारत के नोटिस पर जवाब देते हुए विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा, पाकिस्तान सिंधु जल संधि को महत्वपूर्ण मानता है और उम्मीद करता है कि भारत भी इसके प्रावधानों का पालन करेगा। बलूच ने बताया कि दोनों देशों के बीच सिंधु जल आयुक्तों का एक तंत्र है और संधि से जुड़े सभी मुद्दों पर इसमें चर्चा की जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि संधि से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए कोई भी कदम समझौते के प्रावधानों के तहत ही उठाया जाना चाहिए।
संधि को लेकर पाकिस्तान का ठंड़ा रवैया
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की प्रतिक्रिया से ऐसा लगता है कि पाकिस्तान उस समझौते में संशोधन करने में दिलचस्पी नहीं रखता है। जिसके तहत दोनों देशों के बीच जल बंटवारे के जटिल मुद्दे का समाधान किया गया था। भारत और पाकिस्तान के बीच आईडब्ल्यूटी उन प्रमुख समझौतों में से एक है, जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है और दोनों पड़ोसियों के बीच युद्ध और तनाव के बावजूद इसका पालन किया गया है।
भारत ने इन मामलों पर जताई गंभीर चिंता
भारत सरकार की ओर से भेजे गए नोटिस में कई चिंताओं को रेखांकित किया गया है। जिसमें जनसंख्या जनसांख्यिकी में परिवर्तन, पर्यावरणीय संबंधी मुद्दे और भारत के उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के विकास में तेजी लाना शामिल है। भारत ने समीक्षा की मांग के कारणों में सीमा पार आतंकवाद के प्रभाव का भी हवाला दिया है। करीब डेढ़ साल में यह दूसरी बार था जब भारत ने आईडब्ल्यूटी में संशोधन की मांग करते हुए पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। पिछले साल जनवरी में भारत ने पाकिस्तान को पहला नोटिस जारी कर संधि की समीक्षा और संशोधन की मांग की थी। दरअसल इस्लामाबाद ने कुछ मामलों पर अपना “अड़ियल रवैया” अपनाया हुआ है।