25 साल पहले बनाया फर्जी पासपोर्ट… पकड़ा गया तो अब सात साल की हुई कैद

मुरादाबाद। 25 साल पुराने फर्जी पासपोर्ट बनवाने के मामले में अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया। अदालत ने दोषी को सात साल की सजा और 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। दोषी करार दिए गए आरोपी ने अलग-अलग पते और पहचान पर दो पासपोर्ट बनवाए थे।

नागफनी थाना क्षेत्र के दीवान बाजार मोती बाग निवासी नब्बन खां के खिलाफ 25 साल पहले एलआईयू निरीक्षक योगेश कुमार ने मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें उन्होंने बताया कि उनके पास पासपोर्ट विभाग द्वारा एक पासपोर्ट की जांच के लिए पत्रावली आई थी।

जिसकी जांच करने वह पासपोर्ट धारक नब्बन खां के घर गए, तब पता चला कि वह उस पते पर नहीं रहता। जहां का उसने अपना पता मोती बाग इतवार का बाजार में लिखा था, जब उसके घर गए तो नब्बन वहां मौजूद था। जांच के दौरान उसकी पारिवारिक जानकारी ली गई।

नब्बन ने वर्ष 1997 में एक और पासपोर्ट बनाया था। जिसमें उसने अपना नाम बुस्सर खां पुत्र स्व हबी बुल्ला बताया था। परिवार की जानकारी भी उसमें अलग दी गई थी, जबकि दोनों ही पासपोर्ट में फोटो नब्बन के लगे थे। एक पासपोर्ट पर हिंदी में हस्ताक्षर थे जबकि दूसरे में उर्दू में हस्ताक्षर किए थे।

इस मामले में एलआईयू निरीक्षक ने नागफनी थाने में 26 जुलाई 1999 को नब्बन के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जी कागजात बनाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले की सुनवाई अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तपस्या त्रिपाठी की अदालत में की गई।

अभियोजन अधिकारी राकेश चंद भारतीय और संजीव कुमार ने बताया कि अदालत ने इस मामले में आरोपी नब्बन खां को धोखाधड़ी, फर्जी कागजात बनाने और साजिश रचने के आरोप में दोषी करार देते हुए उसे सात साल के कठोर कारावास की सजा के साथ उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

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