अतुल का दाखला: एक सुप्रीम फैसला


मुजफ्फरनगर जिले के खतौली क्षेत्र के ग्राम टिटौड़ा निवासी दिहाड़ी मजदूर राजेन्द्र कुमार‌ के बेटे अतुल कुमार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आईआईटी धनबाद में प्रवेश मिलने का रास्ता साफ हो गया।

अतुल ने जेईई की परीक्षा में 1955 वीं रैंक हासिल की थी लेकिन आर्थिक कमजोरी की वजह से फीस जमा करने की अंतिम तारीख 24 जून, 2024 सायं 5 बजे तक ऑनलाइन फीस 17,500 रुपये जमा नहीं कर पाया। गांव वालों व अन्य मददारों से अतुल ने फीस की धनराशि तो जुटा दी लेकिन पांच बजे के बाद आईआईटी धनबाद की फीस जमा करने की सुविधा बन्द ‌हो गई। 24 जून की शाम को फीस जमा करने के लिए अतुल ने आईआईटी अधिकारी से प्रवेश देने का आग्रह किया तो उन्होंने इंकार कर दिया। अतुल ने एससी-एसटी आयोग से मदद का अनुरोध किया, मद्रास हाईकोर्ट में याचिका डाली किन्तु राहत नहीं मिली तब सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई।

सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख न्यायधीश जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदी वाला तथा जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने आईआईटी धनबाद को निर्देश दिया कि अतुल कुमार को प्रवेश दिया जाए। हम ऐसे प्रतिभावान युवा को जाने नहीं दे सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अतुल को समायोजित करने के लिए एक अतिरिक्त सीट सृजित की जाए ताकि किसी अन्य छात्र के प्रवेश में बाधा न आए। फैसला सुनाने के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने अतुल को शुभकाम‌नाएं भी दीं।

इस निर्णय से सुप्रीम कोर्ट की गरिमा बढ़ी है। अतुल का परीश्रम व हौसला कामयाब हुआ। वह प्रशंसा का पात्र है। युवा उससे संघर्षशीलता की प्रेरणा लेंगे।

गोविन्द वर्मा

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