भारत में नसरल्ला के चहेतों के चेहरे सामने आये !


30 वर्षों से दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी संगठन चलाने वाला, 5 लाख सुन्नियों व हजारों गैर-मुस्लिम लोगों का हत्यारा नसरल्ला लेबनान आतंकी संगठन हिजबुल्ला के मुख्यालय में 50 फ़ीट जमीन के नीचे इज़राइली हमलों में मारा गया। दुनिया के 57 मुस्लिम देशों में से सिर्फ ईरान व उसके पिछलग्गू 3-4 मुस्लिम देशों ने ही नसरल्ला की मौत का स्यापा किया। सऊदी अरब व अन्य इस्लामिक देशों ने इस बड़े खूंखार आतंकी की मौत पर चुप्पी साध ली।

आश्चर्य है कि जो मुस्लिम नेता और भाईचारा का परचम उठाने वाले सेक्युलरवादी बांग्लादेश में हिन्दुओं के नरसंहार व हिन्दुओं पर ढाये जा रहे जुल्म-ओ-सितम पर होठ सिले बैठे हैं, वे भारत से 4,500 किलोमीटर दूर आतंकी के मरने पर 3 दिन का सोग मना रहे हैं। लखनऊ में 3 दिनों तक बाजार बंद करने का फरमान जारी कर शिया नेता हजारों स्त्री-पुरुषों, छोटे-छोटे बच्चों को साथ लेकर सड़कों पर उतर आये। नसरल्ला के फोटो व काले झंडों का प्रदर्शन किया। नसरल्ला को शहीद बता कर इज़राइल का झंडा फूंका।

इसी तरह श्रीनगर में शिया सम्प्रदाय के छोटे-छोटे बच्चे, छोटी बालिकाएं, स्त्री-पुरुष मातमी कपड़ों में नसरल्ला के बड़े-बड़े फोटो लेकर सड़कों पर उतरे। लड़कियों से कहलवाया गया कि हर घर से नसरल्ला निकलेगा। हर घर से हिजबुल्ला पैदा होगा। आतंक के सरगना नसरल्ला की मौत को शहादत बताते हुए मेहबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्ला ने चुनाव प्रचार मुल्तवी कर दिया। मोदी और शाह का यह भ्रम बुरी तरह टूटा कि उन्होंने कश्मीरी युवकों के हाथों से पत्थर व बंदूकें लेकर किताबें व कम्प्यूटर पकड़ा दिए हैं।

नसरल्ला की मौत ने एक बार फिर बिलों में घुसे देशद्रोहियों के चेहरे और उनकी आतंकी भावनाओं को उजागर कर दिया है। इन्हीं के बल पर अकबरुद्दीन ओवेसी कहता है कि 100 करोड़ हिन्दुओं पर 20 करोड़ मुस्लिम भारी हैं। 15 मिनट में सफाया कर देंगे। पीएफआई इन्हीं गद्दारों के बल पर 2047 तक हिंदुस्तान में चाँद-सितारे का हरा झंडा फहराने की घोषणा करता है।

आप सबका साथ, सबका विकास का नारा लगाते रहिये, मुफ्त राशन खिलाते रहिये, मुफ्त इलाज कराते रहिये, शौचालय बनवाते रहिये, वन्देभारत ट्रेन चलवाते रहिये। इनका मिशन भीतर ही भीतर और बाहर भी चलता रहेगा। रोजमर्रा ट्रेनें पलटने की कोशिशें चीख-चीख कर कहती हैं कि आगे क्या होगा। यह आज की सुलगती-भभकती व जलती हुई ज्वालामुखी जैसी विभीषिका है, इस पर तत्काल काबू पाने की जरूरत है।

गोविन्द वर्मा

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