ओबीसी आरक्षण, लाडली बहना के बाद अब टोल फ्री: शिंदे सरकार का मास्टर स्ट्रोक

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहे हैं, जिसके जरिए चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने की स्ट्रेटेजी है. शिंदे सरकार ने कैबिनेट की बैठक में हल्के वाहन चालकों को बड़ी राहत दी है. मुंबई में प्रवेश करने वाले सभी 5 टोल नाके पर से सभी हल्के वाहनों का टोल खत्म करने का फैसला लिया है. शिंदे सरकार ओबीसी आरक्षण और लाडली बहना योजना के बाद मुंबई में टोल खत्म करने का फैसला करके विधानसभा चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक चला है.

महाराष्ट्र में अब किसी भी दिन विधानसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है. बीजेपी नेतृत्व वाले महायुति यानी एनडीए गठबंधन के लिए महाराष्ट्र चुनाव अहम माना जा रहा है. यही वजह है कि शिंदे की अगुवाई वाली सरकार ऐसे फैसला ले रही है, जिससे सियासी फिजा अपने पक्ष में करने के साथ-साथ मतदाताओं का दिल जीता जा सके. इसके चलते ही एक के बाद एक लोकलुभावन फैसले लिए जा रहे हैं, जिस तरह हरियाणा में नायब सिंह सैनी ने ताबड़तोड़ घोषणाएं की थी.

मुंबई टोल फ्री करने का फैसला

महाराष्ट्र कैबिनेट ने सोमवार को फैसला किया कि मुंबई के अंदर आने वाले सभी 5 टोल नाकों पर से छोटी और हल्की गाड़ियों पर कोई टोल नहीं देना होगा. सीएम एकनाथ शिंदे ने ऐलान किया कि दहिसर टोल, मुलुंड टोल, वाशी टोल, ऐरोली टोल और तिनहाथ टोल नाका पर पूर्ण छूट होगी. राज्य में फिलहाल हल्के मोटर वाहनों से 45 रुपए टोल वसूला जाता है, इससे अब राहत मिली है. शिंदे सरकार ने टोल फ्री करके मुंबई इलाके की 36 सीटों के साथ-साथ मुंबई से लगे क्षेत्रों को भी साधने का दांव चला है. मुंबई का इलाका उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) एक बड़ी चुनौती है .

लाडली बहना योजना का दांव

चुनाव से पहले शिंदे सरकार की ओर से लाडली बहना योजना शुरू की गई थी. इसमें महाराष्ट्र सरकार राज्य की महिलाओं को वित्तीय सहायता के रूप में हर महीने 1500 रुपए दे रही है. शिंदे सरकार लाडली बहना योजना का जमकर प्रचार-प्रचार कर रही है, जिसके जरिए आधी आबादी यानी महिला मतदाताओं को साधने की रणनीति है. बीजेपी इस लाडली बहना योजना के जरिए मध्य प्रदेश की चुनावी जंग फतह कर चुकी है और अब महाराष्ट्र में सत्ता की वापसी के लिए दांव चला है. शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में इसी एक योजना से सारी सियासी फिजा को बदल दिया था. अब इस विनिंग फॉर्मूले से महाराष्ट्र को साधने की रणनीति है.

ओबीसी और दलित वोटों पर नजर

शिंदे सरकार महाराष्ट्र चुनाव से पहले अपने सियासी समीकरण को दुरुस्त करने में जुट गई है. शिंदे सरकार ने केंद्र से ओबीसी में गैर-क्रीमी लेयर के लिए आय सीमा मौजूदा आठ लाख रुपए से बढ़ाकर 15 लाख रुपए सालाना करने का अनुरोध करेगी. इसका मतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र से मांग की है कि ओबीसी में क्रीमी लेयर तय करने की जो मौजूदा सीमा 8 लाख है, उसे 15 लाख कर दिया जाए. इसी तरह हरियाणा में नायब सैनी सरकार ने ओबीसी में क्रीमी लेयर की सीमा को 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख किया था. इसका फायदा भी बीजेपी को हरियाणा चुनाव मिला है.

दलित और ओबीसी मतदाताओं को साधने में जुटी शिंदे सरकार

महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने अनुसूचित जाति के वोटरों को लुभाने के लिए राज्य अनुसूचित आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले अध्यादेश को मंजूरी दी है. इसे आगामी विधानमंडल के सत्र में पेश किया जाएगा. इस तरह शिंदे के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ओबीसी और दलित वोटों को साधने की कवायद में है, क्योंकि महाराष्ट्र की सियासत में यह दोनों बड़े वोटबैंक हैं. 12 फीसदी दलित और 40 फीसदी के करीब ओबीसी मतदाता महाराष्ट्र में है, जिनको अपने पाले में करके कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन के समीकरण को बिगाड़ने का दांव शिंदे सरकार ने चला है.

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