उत्तर भारत में पराली जलने की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। मुख्य रूप से पंजाब में इसका असर ज्यादा देखने को मिल रहा है। मंगलवार को पंजाब के 7 में से 6 बड़े शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) ग्रीन से यलो जोन में देखा गया।
इन 6 बड़े शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक दर्ज किया गया। बठिंडा का एक्यूआई (63 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) संतोषजनक दर्ज किया गया।
पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ का एक्यूआई 160 रहा। पराली जलाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रदेश में अब तक पराली जलाने के 1,113 मामले सामने आ चुके हैं। पराली के निस्तारण के लिए प्रदेश में 58 कंप्रेस्ड बायो गैस प्लांट (सीबीजी) लगाने की मंजूरी दी गई है, लेकिन अब तक केवल चार प्लांट ही सुचारु रूप से संचालित किए जा रहे हैं। हाल ही में 22 गांवों को सीबीजी प्लांट लगाने के लिए जमीन देने की मांग की गई थी, लेकिन गांवों ने इन्कार कर दिया।
25 अक्तूबर से रिकॉर्ड तोड़ मामले बढ़ने की आशंका
पीजीआई चंडीगढ़ के पर्यावरण विशेषज्ञ प्रो. रविंदर खाईवाल ने बताया कि पंजाब में 25 अक्तूबर से रिकॉर्ड तोड़ पराली जलाने के मामले सामने आ सकते हैं। इसी के साथ पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और उत्तर भारत के अन्य मुख्य शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स लाल निशान के पास पहुंचता दिखेगा। प्रो. खाईवाल ने बताया कि पंजाब की मंडियों में धान की आवक शुरू हो गई है, जैसे ही मंडियों में धान की आवक बढ़ेगी, उसी के साथ पराली जलाने के मामले भी ज्यादा आने लगेंगे। दीपावली के आसपास उत्तर भारत का एयर क्वालिटी इंडेक्स पूरी तरह से बिगड़ता हुआ नजर आएगा।