उत्तराखंड की महिला नीति से यूसीसी को भी मिलेगा बल, अंतिम रूप देने की कसरत तेज

देहरादून। महिला अधिकारों को सुरक्षित करने के दृष्टिगत उत्तराखंड में महिला नीति लाई जा रही है। महिला सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल बनने जा रही समान नागरिक संहिता से महिला नीति को भी बल मिलने जा रहा है। इसके प्रारूप को  की गई है।

कैबिनेट की आगामी बैठक में इसका प्रस्ताव रखा जाएगा और राज्य स्थापना दिवस नौ नवंबर पर यह महिलाओं को समर्पित की जा सकती है। सूत्रों के अनुसार महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए यह नीति 10 बिंदुओं पर व्यापकता लिए होगी।

राज्य के आपदा की दृष्टि से संवेदनशील होने के चलते नीति में महिलाओं को केंद्र में रखकर जलवायु परिवर्तन एवं आपदा प्रबंधन का विषय भी प्रमुखता से शामिल किया जा रहा है।

यह किसी से छिपा नहीं है कि राज्य निर्माण और फिर इसके विकास में मातृशक्ति की अहम भूमिका है। यही कारण है कि सरकारों ने मातृशक्ति को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। मौजूदा सरकार ने महिला सशक्तीकरण को कई कदम उठाए हैं।

समान नागरिक संहिता की पहल में भी महिला अधिकारों को सुरक्षित करने पर विशेष जोर है। अब महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाने को वर्ष 2017 से चल रही महिला नीति की मुहिम को धरातल पर उतारने की तैयारी है।

कई दौर की बैठकों के बाद राज्य महिला आयोग की ओर से तैयार महिला नीति के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा रहा है। हाल में महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या की अध्यक्षता में इस नीति के प्रारूप को लेकर बैठक हो चुकी है। इसमें कुछ बिंदुओं पर दिए गए सुझावों को भी शामिल किया जाना है।

सूत्रों के अनुसार महिला नीति के प्रारूप को अंतिम रूप देने के लिए कवायद तेज की गई है, ताकि कैबिनेट की आगामी बैठक में इसका प्रस्ताव लाया जा सके। प्रयास यह है कि इसे 23 अक्टूबर अथवा एक या दो नवंबर को प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक में रखा जाए।

नीति में इन बिंदुओं पर व्यापकता

लैंगिक समानताशिक्षा, रोजगार, राजनीतिक नेतृत्व समेत अन्य क्षेत्रों में महिलाओं के लिए समान अवसर।
आर्थिक सशक्तीकरणसंसाधनों तक पहुंच, उद्यमिता और कार्यबल भागीदारी में महिलाओं के लिए अवसर।
शिक्षाबालिकाओं व महिलाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शैक्षणिक संस्थानों में लिंग आधारित हिंसा व भेदभाव समाप्त करना।
स्वास्थ्य और प्रजननप्रजनन अधिकार, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, परिवार नियोजन व लिंग आधारित हिंसा को संबोधित करना।
महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की रोकथामघरेलू हिंसा, यौन उत्पीडऩ व मानव तस्करी सहित अन्य हिंसा रोकने को रणनीति।
राजनीतिक भागीदारीराजनीतिक प्रक्रियाओं, निर्णय लेने वाले निकायों और नेतृत्व भूमिकाओं में महिलाओं की भागीदारी व प्रतिनिधित्व को प्रोत्साहित करना।
कानूनी अधिकारमहिला अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करना, जिसमें संपत्ति व विरासत जैसे कानून शामिल हैं।
सामाजिक सुरक्षाएकल, बुजुर्ग व दिव्यांग सहित वंचित समूहों की महिलाओं के लिए सशक्त सामाजिक सुरक्षा तंत्र की स्थापना।
महिला सशक्तीकरण और नेतृत्वमहिलाओं के नेतृत्व विकास और सशक्तीकरण को समर्थन प्रदान करने वाले कार्यक्रमों व नवाचारों को प्रोत्साहित करना।
जेंडर परिप्रेक्ष्यजेंडर असमानताओं को दूर करने के दृष्टिगत सभी नीतियों, कार्यक्रमों व बजट प्रक्रिया में जेंडर परिप्रेक्ष्य शामिल करना।

अलग तरह से प्रभावित करती हैं आपदाएं

महिला नीति के प्रारूप में राज्य में जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन का विषय भी महिलाओं के परिप्रेक्ष्य में समाहित है। प्रारूप में कहा गया है कि महिलाएं आपदाओं से सर्वाधिक ग्रस्त होती हैं। इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि आपदाएं महिलाओं को अलग तरह से प्रभावित करने के साथ ही लैंगिक असमानता को बढ़ाती हैं। ऐसे में आपदा की रोकथाम, न्यूनीकरण, अनुकूलन, राहत, बचाव व पुनर्निर्माण में लिंग संवेदनशील दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।

महिला सशक्तीकरण को सरकार गंभीरता से कदम उठा रही है। इसी क्रम में मातृशक्ति को सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक रूप से ज्यादा शक्त बनाने को महिला नीति लाई जा रही है। नीति के प्रारूप को जल्द अंतिम रूप देने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। हम इस लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं कि राज्य स्थापना दिवस पर यह नीति मातृशक्ति को समर्पित कर दी जाए।”-रेखा आर्या, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री

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