पीएम मोदी की गारंटी, पैसों की कमी से नहीं छूटेगी पढ़ाई, 10 लाख के लोन का ऐलान

मोदी सरकार ने देश के उस मिडिल क्लास और युवा को बड़ी राहत दी है, जो पैसों की कमी की वजह से पढ़ाई को बीच में छोड़ देते थे या फिर आगे पढ़ ही नहीं पाते थे. मोदी कैबिनेट ने ऐसे युवाओं को और मीडिल क्लास को 10 लाख रुपए का लोन देने का ऐलान किया है. वास्तव में कैबिनेट ने लोन देने का ऐलान पीएम विद्यालक्ष्मी योजना के तहत दिया है. 10 लाख तक के लोन के लिए किसी भी गारंटर की जरुरत नहीं होगी. यहां तक कि लोन के ब्याज पर भी सब्सिडी दी जाएगी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर सरकार की ओर से किस तरह का ऐलान किया गया है.

सरकार का बड़ा ऐलान

केंद्र सरकार ने कैबिनेट में फैसला लेते हुए युवाओं को बिना गारंटी वाला 10 लाख का लोन देने का ऐलान किया है. सरकार के फैसले के अनुसार 3 फीसदी की ब्याज छूट के साथ छात्रों को 10 लाख तक का लोन दिया जाएगा. वैसे सरकार की ओर से इस लोन की अपर लिमिट तय नहीं ​की है. जरुरत के हिसाब से इस लोन की राशि में इजाफा भी किया जा सकता है. ये लोन उन लोगों को दिया जाएगा जिनके परिवार की कुल आय 8 लाख रुपए या उससे कम होगी. सरकार की ओर से साफ कहा गया है कि अब अब पैसों की कमी की वजह से किसी भी परिवार के होनहार बच्चे को पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ेगी. वह आसानी से अपने सपनों को पूरा कर सकेंगे.

क्या है पीएम विद्यालक्ष्मी स्कीम?

वास्तव में सरकार की ओर पीएम विद्यालक्ष्मी स्कीम की शुरुआत की है. इस स्कीम के तहत गरीब परिवारों के उन होनहार छात्रों और छात्राओं की पैसों से मदद की जाएगी जो पैसों की किल्लत की वजह से हायर स्टडीज नहीं कर पा रहे हैं, या फिर बीच में छोड़ रहे हैं. ये स्कीम सिर्फ लड़कियों के लिए नहीं बल्कि लड़कों के लिए भी होगी. इस स्कीम से ऐसे बच्चों को आगे बढ़ने और पढ़ने की प्रेरणा मिलेगी जो पैसों की कमी की वजह से नहीं कर पा रहे थे.

एफसीआई को 10,700 करोड़ का बूस्टर डोज

वहीं दूसरी ओर सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पब्लिक सेक्टर की भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी डालने की बुधवार को मंजूरी दे दी. भारतीय खाद्य निगम खाद्यान्नों की खरीद व वितरण के लिए सरकार की नोडल एजेंसी है. एक आधिकारिक बयान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में एफसीआई में 2024-25 के लिए कार्यशील पूंजी की जरूरत को पूरा करने के लिए 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी डालने की मंजूरी दी गई.

क्यों लिया ये फैसला

इस निर्णय का मकसद कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना तथा देशभर के किसानों का कल्याण सुनिश्चित करना है. बयान के अनुसार यह रणनीतिक कदम किसानों को समर्थन देने और भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है. एफसीआई ने 1964 में 100 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी और चार करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी के साथ अपनी यात्रा शुरू की थी.

एफसीआई को होगा फायदा

एफसीआई के परिचालन में अब कई गुना वृद्धि हो चुकी है. फरवरी, 2023 में एफसीआई की अधिकृत पूंजी 11,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 21,000 करोड़ रुपये हो गई. वित्त वर्ष 2019-20 में एफसीआई की इक्विटी पूंजी 4,496 करोड़ रुपये थी, जिसे 2023-24 में बढ़ाकर 10,157 करोड़ रुपये कर दिया गया. बयान में कहा गया कि अब भारत सरकार ने एफसीआई के लिए 10,700 करोड़ रुपये की महत्वपूर्ण इक्विटी पूंजी को मंजूरी दे दी है, जिससे इसे वित्तीय रूप से मजबूती मिलेगी और इसके परिवर्तन के लिए उठाए गए कदमों को बढ़ावा मिलेगा.

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