गुजरात में किसान ने अपनी कार को फूल-माला से सजाकर दी समाधि, अनुष्ठान कराया

गुजरात के अमरेली जिले के पदरसिंगा गांव में अनोखा मामला सामने आया है. यहां एक किसान ने अपनी पुरानी कार को समाधि देकर स्मारक बनवाया है. इस दौरान विधि-विधान से पूजा-पाठ किया गया और पूरे गांव में धूमधाम से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. साधु-संतों की मौजूदगी में गड्ढा खोदकर कार को दफना दिया गया.

दरअसल, अब तक आपने साधु-संतों या कुछ विशेष समुदायों में समाधि दिए जाने की बातें सुनी होंगी, लेकिन गुजरात में एक अलग ही मामला सामने आया. यहां अमरेली के लाठी तालुका के पदरसिंगा गांव में किसान संजय पोलारा ने अपनी पुरानी कार को समाधि देकर एक स्मारक बनवाया है.

अमरेली के लाठी तालुका के पदरशिंगा गांव में लोग पूरे जोश के साथ ढोल-नगाड़े और डीजे बजा रहे थे. यहां किसान संजय पोलारा की पुरानी कार को फूलों से सजाया गया. संतों और महंतों की विशेष उपस्थिति में पूरा गांव कार को जमीन में समाधि देने पहुंचा. संजय पोलारा ने साल 2013-14 में कार खरीदी थी. किसान संजय पोलारा का मानना ​​है कि इस चार पहिया वाहन की वजह से उनकी जिंदगी में प्रगति हुई है, इसलिए वे अपना ये वाहन बेचने की बजाय इसे समाधि देना चाहते थे.

अपनी कार को लकी मानने वाले किसान संजय पोलारा सूरत में बिजनेस के जरिए कंस्ट्रक्शन से जुड़े. कार आने के बाद उनका रुतबा बढ़ा. समाज में अच्छा नाम हुआ. 

फूलमालाओं से सजी कार को समाधि देने से पहले अनुष्ठान किया गया. इसके बाद कार को समाधि वाले गड्ढे में उतारा गया, फिर बुलडोजर से कार के ऊपर मिट्टी डाली गई.

किसान संजय का मानना है कि इस कार के आने के बाद उनके जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आए. इसी वजह से वे इसे बेचने की बजाय एक सम्मानजनक विदाई देना चाहते थे. उनकी इस भावना में गांव के अन्य लोगों ने भी साथ दिया और पूरे गांव में ढोल-नगाड़ों और डीजे की धुनों के बीच समारोह का आयोजन किया गया. 

किसान संजय पोलारा का मानना है कि यह कार उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है और उनकी प्रगति में इसका योगदान रहा है. उन्होंने इस कार को अपने जीवन का ‘भाग्यशाली साथी’ मानते हुए इसे समाधि देना उचित समझा. इस अनोखे कार्यक्रम में गांव के सभी लोग शामिल हुए.

इस अनोखे आयोजन में विशेष पूजन के लिए मंत्रोच्चार किया गया और अंतिम संस्कार की तरह विधि-विधान से कार को जमीन में समाधि दी गई. इस मौके पर संजय के रिश्तेदार और अन्य लोग सूरत, अहमदाबाद और आसपास के इलाकों से शामिल होने पहुंचे थे. संजय के मित्र राजूभाई जोगानी ने कहा कि यह पहल बहुत ही प्रेरणादायक है. पदरसिंगा गांव में हुए इस अनोखे कार्यक्रम की चर्चा पूरे अमरेली जिले में हो रही है.

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