भारत में बैठे-बैठे एक इशारे पर लाहौर तक वार कर सकता है ये ड्रोन, आईआईटी कानपुर ने किया तैयार

आपने पहले कई बार सुना होगा कि किसी की जान लेने के लिए आतंकवादी आत्मघाती दस्ते का सहारा लेते है. इस दस्ते में मौजूद सदस्य अपने साथ बम बांधकर खुद को तो खत्म कर ही लेते है, लेकिन साथ में जिसको निशाना बनाना होता है उसको भी खत्म कर देते है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत भी ऐसे ही हुई थी. आईआईटी कानपुर ने एक ऐसा ड्रोन बनाया है, जो इसी तर्ज पर काम करता है. यह ड्रोन देश के दुश्मनों के लिए किसी काल से कम नहीं है.

दुश्मनों की खोज खबर की जानकारी देने वाले ड्रोन के सफल संचालन के बाद अब आईआईटी कानपुर ने आत्मघाती ड्रोन तैयार किया है. आत्मघाती ड्रोन को कामकाजी ड्रोन का नाम भी दिया गया है. यह आत्मघाती ड्रोन दुश्मन के ठिकानों में जाकर खुद ही फट जाएगा. जीपीएस ब्लॉक होने की स्थिति में भी AI की मदद से यह ड्रोन, लोकेशन को तलाश कर दुश्मन के इलाके में विस्फोट कर देगा. ड्रोन 6 महीने के ट्रायल के बाद पूरी तरह से तैयार हो गया है.

100 किमी दूर जाकर करेगा वार

यह आत्मघाती ड्रोन भारतीय सीमा से 100 किमी की दूरी तय कर वार करेगा. 100 किलोमीटर पहुंचने में इसे महज 40 मिनट का समय लगेगा. आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक डॉक्टर सुब्रमण्यम सडरेला और उनकी टीम ने इसे विकसित किया है. डॉक्टर सडरेला ने बताया कि रडार में ना आने के लिए इसमें स्टेल्ड तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. 2 मीटर लंबा फोल्डेबल फिक्स्ड विंग वाला ड्रोन है. इस ड्रोन की 40 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ने की क्षमता है. अमृतसर से लाहौर की दूरी पचास किलोमीटर है. ऐसे में आराम से पंजाब में बैठकर लाहौर में हमला किया जा सकता है.

AI तकनीक से कंट्रोल होगा ड्रोन

कामकाजी ड्रोन एआई तकनीक पर काम करेगा. इसके विंग में कैमरे और सेंसर लगे हुए हैं. एआई तकनीक की मदद से यह ड्रोन जीपीएस ब्लॉक होने के बाद भी टारगेट को तबाह कर देगा. यह ड्रोन सेना के लिए सबसे बड़ी ताकत बनने को तैयार है. यह देश का पहला ड्रोन है, जो खुद भी फैसला ले सकेगा और इसे बेस स्टेशन से रिमोट से भी नियंत्रित किया जा सकता है. ड्रोन निर्धारित टारगेट से सिर्फ 2 मीटर ही भटक सकता है. यह दिन के साथ रात में भी उड़ान भरने में सक्षम है.

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