किसानों ने बदली रणनीति, ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ बॉर्डर पहुंचे, पंधेर ने किया आह्वान

किसान जत्थेबंदियों ने छह दिसंबर को शंभू बॉर्डर से बिना ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के शांतिपूर्वक दिल्ली कूच का एलान किया था, लेकिन अब किसान जत्थेबंदियों ने रणनीति बदली है। शुक्रवार को किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने किसानों को बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ शंभू व खनौरी बॉर्डरों पर पहुंचने का आह्वान किया है। पंधेर ने कहा कि 26 नवंबर को खनौरी बॉर्डर और छह दिसंबर को शंभू बॉर्डर पर बड़े इकट्ठ किए जाएंगे। 

दरअसल 26 नवंबर को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल खन्नौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठने जा रहे हैं। वहीं, छह दिसंबर को शंभू बॉर्डर के जरिये किसानों का दिल्ली कूच का कार्यक्रम तय है। ऐसे में पंधेर के इस बड़े एलान से जिला व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों में हलचल तेज हो गई है। इसी साल फरवरी महीने में जब किसानों ने शंभू व खनौरी बॉर्डरों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ दिल्ली कूच करने की कोशिश की थी, उस समय हरियाणा पुलिस व किसानों के बीच जबरदस्त टकराव हुआ था। एक युवक की मौत हो गई थी, कई घायल भी हुए थे। ऐसे में अब इस तरह की नौबत न आए, इसके लिए जिला व पुलिस प्रशासन पूरी कोशिश करेगा। 

मामले पर पूरा गौर किया जा रहा- डीसी

पटियाला की डीसी प्रीति यादव ने कहा कि इस मामले पर पूरा गौर किया जा रहा है। बैठक में व्यस्त होने की बात कहकर आगे कुछ कहने से इन्कार कर दिया। इस मौके पर पंधेर ने रिश्वत मामले में अमेरिका में गौतम अदाणी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने पर कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

तैयारियों को लेकर गांव-गांव बैठकें

शंभू व खनौरी बॉर्डरों पर 26 नवंबर और छह दिसंबर के कार्यक्रमों को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। किसान नेता रणजीत सिंह सवाजपुर ने कहा कि जत्थेबंदियों के नुमाइंदे गांव-गांव जाकर बैठकें करके किसानों को बड़ी संख्या में पहुंचने की अपील कर रहे हैं। हर गांव से तीन से चार ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लाने को कहा जा रहा है ताकि ज्यादा इकट्ठ करके केंद्र पर दबाव बनाया जा सके।

आमरण अनशन का सिलसिला टूटेगा नहीं

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि 26 नवंबर को वह खन्नौरी बाॅर्डर पर आमरण अनशन पर बैठेंगे। अगर इस दौरान उनकी शहादत होती है, तो किसानों की मांगें पूरी होने तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। साथ ही आमरण अनशन का सिलसिला भी नहीं टूटेगा, उनकी जगह अन्य किसान नेता अनशन पर बैठ जाएगा। अगर दूसरा किसान नेता भी शहीद हुआ, तो फिर तीसरे को बिठाया जाएगा। इसी तरह से यह सिलसिला जारी रखा जाएगा।

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