बहराइच में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के बाद जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ के समक्ष एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स संस्था की जनहित याचिका 27 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस मामले में जवाब दाखिल कर दिया गया है। वहीं, याची ने भी इसका प्रतिउत्तर दाखिल कर दिया है। हालांकि, मामले में कोर्ट ने अभी कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया है। फिलहाल ध्वस्तीकरण नोटिस मामले में 27 नवंबर तक महाराजगंज बाजार के कथित अतिक्रमणकर्ताओं को राहत रहेगी।
पहले, कोर्ट ने राज्य सरकार से मौखिक रूप से पूछा था कि क्या नोटिसें जारी करने से पहले वहां कोई सर्वे किया गया था या नहीं? क्या जिन्हें नोटिसें जारी हुईं, वेलोग निर्मित परिसरों के स्वामी हैं या नहीं? नोटिस जारीकर्ता प्राधिकारी इन्हें जारी करने को सक्षम था या नहीं। इन बिंदुओं के अलावा कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा था कि महराजगंज बाजार की जिस सड़क पर बने निर्माणों को ढहाने की नोटिस जारी हुईं, क्या पूरा निर्माण या उसका कोई हिस्सा अवैध निर्माण था या नहीं?
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की थी कि फिलहाल राज्य सरकार ऐसी कोई कार्रवाई न करे, जो कानून सम्मत न हो। याचिका में बहराइच के महाराजगंज बाजार के कथित अतिक्रमणकर्ताओं को बीते 17 अक्तूबर को जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों को चुनौती देकर इन्हें रद्द करने के निर्देश देने का आग्रह किया गया है। बता दें कि महाराजगंज में 13 अक्तूबर को हिंसा के बाद रामगोपाल मिश्रा की हत्या हो गई थी। इसके बाद वहां के कथित अतिक्रमणकर्ताओं के निर्माणों को ढहाने की नोटिसें उन्हें जारी की गई थीं।