बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गुरुवार को हिंदू धार्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा की। उन्होंने सरकार से इस्कॉन के संत को तत्काल रिहा करने की मांग की। चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। 30 अक्तूबर को बांग्लादेश में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में देशद्रोह अधिनियम के तहत चिन्मय कृष्ण दास प्रभु समेत 19 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
पूर्व पीएम शेख हसीना की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सनातन धार्मिक समुदाय के एक प्रमुख नेता को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया है। उनको तत्काल रिहा किया जाना चाहिए। अवामी लीग के एक्स अकाउंट पर पूर्व पीएम शेख हसीना का बयान पोस्ट किया गया। एक्स पर लिखा गया कि चटगांव में एक मंदिर को जला दिया गया। इससे पहले मस्जिदों, धार्मिक स्थलों, चर्चों, मठों और अहमदिया समुदाय के घरों पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई। इसमें लूटपाट की गई और आग लगा दी गई। सभी समुदायों के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता और जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
शेख हसीना की सरकार जाने के बाद से बढ़े हमले
बीते अगस्त में एक छात्र आंदोलन के चलते शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतत्व में एक कार्यवाहक सरकार बांग्लादेश में प्रशासन कर रही है, लेकिन शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद से बांग्लादेश में हिदुओं और अन्य अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं, जिनके खिलाफ अल्पसंख्यक वर्ग द्वारा कई बार विरोध प्रदर्शन किए गए हैं।
यह मांग कर रहे हिंदू अल्पसंख्यक
अक्तूबर से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों की मांग को लेकर सनातन जागरण मंच ने चटगांव में विरोध प्रदर्शन शुरू किए थे। इसमें चिन्मय कृष्ण दास प्रभु ने कई बार सरकार पर हमला बोला। उनके नेतृत्व में हिंदू अल्पसंख्यकों ने आठ प्रमुख मांगों को लेकर आवाज बुलंद की है। इसमें अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अपराध शामिल लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए न्यायाधिकरण का गठ, पीड़ितों को मुआवजा और उनका पुर्नवास, अल्पसंख्यक संरक्षण कानून को लागू करने, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का गठन, शैक्षिक संस्थानों और छात्रावास में अल्पसंख्यकों के प्रार्थना स्थल और पूजा कक्ष बनाने, हिंदू, बौद्ध और ईसाई वेलफेयर ट्रस्टों को प्राथमिकता देने, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम लागू करने, पाली और संस्कृत शिक्षा बोर्ड के आधुनिकीकरण और दुर्गा पूजा में पांच दिन की छुट्टी की मांग शामिल है।