कानून का खुला मजाक हैं… अजमेर दरगाह विवाद पर बोला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने गुरुवार को अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वे की मांग पर चिंता जताई है. साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से अजमेर मामले में खुद संज्ञान लेने का अनुरोध किया है. एआईएमपीएलबी ने कहा कि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को इस मामले में स्वत: संज्ञान लेना चाहिए. और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्थानीय अदालत आगे ऐसे विवादों के लिए रास्ता नहीं खोलें.

अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए एक केस स्थानीय अदालत में दायर किया गया है. अदालत ने बुधवार को इसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया. साथ ही अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. AIMPLB के प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह के दावे कानून और संविधान का खुला मजाक हैं.

ऐसे दावों का कोई आधार नहीं है- इलियास

एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने एक बयान में इस पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, ‘पर्सनल लॉ बोर्ड देश भर की विभिन्न अदालतों में मस्जिदों और दरगाहों पर दावा किए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त करता है. इस तरह के दावे कानून और संविधान का खुला मजाक हैं.’ उनका कहना है कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत ऐसे दावों का कोई आधार नहीं है.

सैयद कासिम रसूल इलियास ने ऐसे दावों को आधारहीन बताया. उन्होंने कहा कि संसद की ओर से पारित इस कानून में स्पष्ट किया गया है कि 15 अगस्त 1947 तक की किसी भी पूजा स्थल की स्थिति अपरिवर्तित रहेगी. इसका मतलब है कि कोर्ट में इसे चुनौती नहीं दी जा सकती. इलियास ने कहा कि उन्होंने सीजेआई से से अपील की है कि वह इस मामले में तत्काल स्वत: संज्ञान लें.

कानून लागू करना सरकारों की जिम्मेदारी- इलियास

रसूल इलियास ने कहा कि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना मामले में संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करें. साथ ही निचली अदालतों को आगे किसी भी विवाद के लिए दरवाजे खोलने से परहेज करने का निर्देश दें. उन्होंने कहा, ‘संसद द्वारा पारित इस कानून को सख्ती से लागू करना केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की जिम्मेदारी है.’

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