भुवनेश्वर में एक सम्मेलन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल धोखाधड़ी, साइबर अपराधों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक से हो रहे खतरों पर चिंता जताई. उन्होंने विशेष रूप से डीपफेक के लेकर भी कई बाते कही. इस दौरान उन्होंने कहा कि पुलिस को इन चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए भारत की “डबल एआई” शक्ति का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने इस दौरान पुलिस कर्मियों के कार्यभार को कम करने के लिए तकनीक का उपयोग करने पर जोर दिया और सुझाव दिया कि पुलिस थानों को संसाधनों के वितरण का केंद्र बिंदु बनाया जाए. उन्होंने शहरी पुलिसिंग में उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा कि इन पहलों को पूरे देश के 100 शहरों में लागू किया जाना चाहिए. साथ ही, मोदी ने SMART पुलिसिंग की अवधारणा को के बार में बताते हुए कहा कि इसे रणनीतिक, सुव्यवस्थित, अनुकूलनीय, विश्वसनीय और पारदर्शी बनाया जाएगा.
ऐसे हुई स्मार्ट पुलिसिंग की शुरुआत
स्मार्ट पुलिसिंग की अवधारणा पहली बार 2014 में गुवाहाटी में आयोजित एक सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने ही पेश की थी. इसका उद्देश्य भारतीय पुलिसिंग के काम में बदलाव लाना था, ताकि वह सख्त और संवेदनशील, आधुनिक और टेक फ्रेंडली बन सके. ये कार्यक्रम भुवनेश्वर में आयोजित 59वीं अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक सम्मेलन दौरान कहा. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल धोखाधड़ी, साइबर अपराधों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक से उत्पन्न खतरों पर भी चिंता व्यक्त की.
पुलिसिंग के कई और पहलुओं पर हुआ मंथन
तीन दिवसीय इस सम्मेलन में 250 वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शारीरिक रूप से उपस्थित हुए, जबकि 750 से अधिक ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी इस बैठक में भाग लिया. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर पुलिसिंग के कई और पहलुओं पर मंथन किया. साथ ही पुलिस की सराहना की और सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने के लिए इस तरह के संवादों की आवश्यकता पर भी जोर दिया.