मलेरिया की एक नई वैक्सीन उम्मीद की नई किरण दिखाती है। अफ्रीकी बच्चों पर इस टीके के फेज 2बी के क्लीनिकल ट्रायल किए गए। अंतरिम परिणाम बताते हैं कि वैक्सीन सुरक्षित और मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने के साथ आशाजनक प्रभावकारिता से लैस है।
दरअसल, आरएच 5.1/मैट्रिक्स-एम नामक इस वैक्सीन के परीक्षण के नतीजे द लैंसेट इंफेक्शस डिजीजेज में प्रकाशित हुए हैं। वैक्सीन ब्लड-स्टेज टाइप है, यानी जब मलेरिया की वजह बनने वाला पैरासाइट खून में मौजूद होता है, यह वैक्सीन उसे निशाना बनाती है।
ब्लड-स्टेज में ही संक्रमित व्यक्ति में मलेरिया के लक्षण दिखने शुरू होते हैं। मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होने वाले मलेरिया की वजह प्लाज्मोडियम पैरासाइट है। इसके लक्षण काटने के अमूमन 10-15 दिन बाद नजर आते हैं। हल्के लक्षणों में बुखार, ठंड लगना और सिरदर्द शामिल हैं। जबकि गंभीर लक्षणों में थकान, भ्रम, दौरे और सांस लेने में कठिनाई भी हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने किया अध्ययन
यूके स्थित आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और बुर्किना फासो के इंस्टीट्यूट डी रिसर्च एन साइंसेज डे ला सैंटे के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में अफ्रीकी देश के 361 बच्चों को शामिल किया। इन्हें या तो आरएच5.1/मैट्रिक्स-एम वैक्सीन की तीन खुराकें या रेबीज नियंत्रण वैक्सीन दी गईं। खुराक देने की दो प्रणाली अपनाई गईं। पहली प्रणाली में दूसरी खुराक के चार माह बाद तीसरी खुराक दी गई। जबकि दूसरी प्रणाली मासिक थी, जिसमें दूसरी खुराक के एक माह बाद तीसरी खुराक दी गई।
वैक्सीन की प्रभावशीलता 55 प्रतिशत
पहली यानी देरी वाली प्रणाली में बच्चों में वैक्सीन की प्रभावशीलता या असर 55 प्रतिशत पाया गया, जबकि दूसरी या मासिक प्रणाली में यह 40 प्रतिशत मिला। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि पहली प्रणाली में बच्चों में एंटीबाडीज और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के ऊंचे स्तर देखने को मिले। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों के लिए मलेरिया के दो टीकों- आरटीएस,एस/एएस01 और आर21/मैट्रिक्स-एम की सिफारिश की है और ये टीके लिवर में मौजूद मलेरिया पैरासाइट को निशाना बनाते हैं।
हालांकि, शोधकर्ताओं ने कहा कि इन दोनों ही टीकों ने ब्लड-स्टेज में मलेरिया पैरासाइट के खिलाफ प्रतिरक्षा उत्पन्न नहीं की। मैट्रिक्स-एम वैक्सीन खून में मौजूद मलेरिया पैरासाइट को निशाना बनाकर सुरक्षा की दूसरी परत बनाते हैं।
मलेरिया के खिलाफ लड़ाई शानदार
डब्ल्यूएचओ ने बुधवार को दक्षिणपूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया के खिलाफ लड़ाई की प्रशंसा करते हुए सदस्य देशों से कमजोर आबादी पर फोकस करने की बात कही ताकि इससे बचाव, पहचान और इलाज सुनिश्चित किया जा सके।विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2024 के अनुसार क्षेत्र में वर्ष 2000 के 2.28 करोड़ मामलों की तुलना में 2023 में यह संख्या 40 लाख रह गई, जो 82.4 प्रतिशत की कमी दिखाती है। दुनिया की एक चौथाई आबादी वाले क्षेत्र में 2023 में दुनिया के 1.5 प्रतिशत मामले सामने आए। जबकि मलेरिया से मौतों की संख्या 2000 में 35,000 की तुलना में 2023 में 6,000 तक आ गईं, जो 82.9 प्रतिशत कम हैं। इन 23 वर्षों में क्षेत्र में 27 करोड़ मलेरिया के मामलों और 4.20 लाख मौतों को बचा लिया गया।