‘बीजेपी ने संविधान का सुरक्षा कवच तोड़ने का काम किया’: प्रियंका गांधी

नई दिल्लीः कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा आज लोकसभा में पहली बार भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। प्रियंका गांधी ने लोकसभा में क्या-क्या कहा आइए जानते हैं उनकी मुख्य बातें।

  1. बिना नाम लिए पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि भय फैलाने वाले लोग खुद भय में जी रहे हैं। ऐसा डर का माहौल तो पहले अंग्रेजों के राज में भी नहीं था। ये देश भय से नहीं साहस से चलेगा। 
  2. प्रियंका गांधी ने कहा कि पहले के राजा भेष बदलकर जनता के बीच जाते थे। अब के राजा भेष बदलते तो हैं लेकिन जनता के बीच नहीं जाते और न ही उन्हें आलोचना सुननी पंसद है। आज का राजा जनता के बीच जाने से डरता है। ऐये सरकार आलोचना से डरती है। इस सरकार में सदन में चर्चा की हिम्मत नहीं।
  3.  लोकसभा में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि आज देश की जनता मांग कर रही है कि जातिगत जनगणना हो। सत्ता पक्ष के साथी ने इसका जिक्र किया, ये जिक्र भी लोकसभा में आए इन नतीजों की वजह से ही हो रहा है। जाति जनगणना इसलिए जरूरी है ताकि हम सबकी स्थिति जान सकें और उसके मुताबिक नीतियां बना सकें। 
  4. हाथरस और मणिपुर को लेकर इनके माथे पर शिकन नहीं। बैलेट पेपर से चुनाव कराओ…दूध का दूथ पानी का पानी हो जाएगा। करोड़ों भारतीयों के संघर्ष में, कठिन से कठिन परिस्थितियों से लड़ने की उनकी ताकत में, और देश से न्याय की उम्मीद में, हमारे संविधान की लौ जल रही है।  
  5. प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि हमारा संविधान एक सुरक्षा कवच है। ऐसा सुरक्षा कवच जो नागरिकों को सुरक्षित रखता है। यह न्याय का, एकता का, अभिव्यक्ति की आजादी का कवच है। यह दुखद है कि 10 साल में बड़े-बड़े दावे करने वाले सत्ता पक्ष के साथियों ने इस कवच को तोड़ने का पूरा प्रयास किया है। संविधान में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का वादा है। यह वादे सुरक्षा कवच हैं और इसे तोड़ने का काम शुरू हो गया है। लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए यह सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है। 
  6. भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान लोकसभा में बोलते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि संभल के कुछ लोग हमसे मिलने आए थे, जो मृतकों के परिवार के सदस्य थे। उनमें दो बच्चे थे-अदनान और उजैर। उनमें से एक मेरे बेटे की उम्र का था और दूसरा उससे छोटा, 17 साल का है। उनके पिता एक दर्जी थे। दर्जी का बस एक ही सपना था कि वह अपने बच्चों को पढ़ाएगा, एक बेटा डॉक्टर बनेगा और दूसरा भी सफल होगा…पुलिस ने उनके पिता को गोली मार दी। 17 वर्षीय अदनान ने मुझे बताया कि वह बड़ा होकर डॉक्टर बनेगा और अपने पिता के सपने को साकार करेगा। यह सपना और आशा उसके दिल में हमारे भारत के संविधान ने डाली है। 

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