किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे, प्रदर्शनकारी किसानों ने एक्सप्रेस-वे पर आवागमन रोका

चंडीगढ़। केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने दिल्ली की सीमा पर अपने आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर शनिवार को हरियाणा में छह लेन वाले कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे पर कुछ स्थानों पर यातायात अवरुद्ध कर दिया। किसानों का प्रदर्शन सुबह 11 बजे शुरू हुआ, जो अपराह्न चार बजे तक जारी रहा। काले झंडे थामे तथा बांह पर काली पट्टी बांधे किसानों और काला दुपट्टा पहने महिला प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगे नहीं माने जाने को लेकर भाजपा नीत सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। सोनीपत तथा झज्जर और कुछ अन्य स्थानों पर प्रदर्शनकारी अपने ट्रैक्टर ट्रॉली तथा अन्य वाहन लेकर आए और उन्हें केएमपी एक्स्प्रेसवे के कुछ हिस्सों में बीच में खड़ा कर दिया। 

हरियाणा पुलिस ने यातायात का मार्ग बदलने के लिये प्रबंध कर रखा था। पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक्सप्रेस-वे पर यातायात अवरूद्ध करने का आह्वान किया था। कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे 136 किलोमीटर लंबा है। मानेसर-पलवल खंड 53 किलोमीटर लंबा है और इसका उद्घाटन 2016 में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया था, वहीं 83 किलोमीटर लंबे कुंडली-मानेसर खंड का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में किया था। भारतीय किसान यूनियन (दाकुंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, ‘‘ हम केएमपी एक्सप्रेस-वे पर यातायात अवरुद्ध करेंगे लेकिन आपात सेवा में लगे वाहनों को जाने दिया जाएगा।’’ 

सोनीपत में एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘ तीनों कृषि कानूनों को वापस लिये जाने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हम पीछे नहीं हटेंगे।’’ किसानों ने पलवल जिले में भी प्रदर्शन किया। केएमपी एक्सप्रेस-वे दिल्ली की हमेशा व्यस्त रहने वाली सड़कों पर भीड़ को कम करने खास तौर पर राष्ट्रीय राजधानी में आने वालों ट्रकों की संख्या को कम करने के लिए बनाया गया था। इससे प्रदूषण कम करने में भी मदद मिली। गौरतलब है कि हजारों की संख्या में किसान केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले वर्ष नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों की आशंका है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को समाप्त कर देंगे और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट घरानों के ‘रहमोकरम’ पर छोड़ देंगे। हालांकि, सरकार का कहना है कि नए कानून किसानों के लिए बेहतर अवसर लाएंगे और इससे कृषि के क्षेत्र में नयी प्रौद्योगिकी भी आएगी।

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