पाक को हराकर लौटे प्रिंसदीप: हॉकी जूनियर एशिया कप जीता

कहते हैं कि सपने वो नहीं होते जो आप सोते हुए देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने न दें। बचपन में देश किए हॉकी खेलने का सपना साकार करते हुए स्वतंत्रता सेनानियों के गांव चौहान का होनहार जवान प्रिंसदीप सिंह जो अपनी हिम्मत और मेहनत से जूनियर हॉकी टीम इंडिया का हिस्सा बने। राष्ट्रीय खेल हॉकी टीम की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले गोलकीपर का किरदार बाखूबी से निभाते हुए पिछले दिनों मस्कट के ओमान में हुए एशिया कप में पाकिस्तान से हुए मुकाबले के दौरान पांच गोलों को डिफेंड कर अपनी टीम को जीत दिलवाने ने निर्णायक भूमिका निभाई। टीम इंडिया ने पाकिस्तान को 5-3 के अंतर से हराकर एशिया कप जीत कर देश के लिए गोल्ड मेडल लाया। 

एशिया कप जीतने के बाद शुक्रवार को प्रिंसदीप सिंह पठानकोट लौटे। उनके स्वागत के लिए पंजाब सरकार कैबिनेट मंत्री पंजाब लाल चंद कटारूचक्क, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा पंजाब, लायंस क्लब व गांव चौहाना के निवासी यों ने पठानकोट कैंट रेलवे स्टेशन पर पहुंचे थे। सभी ने प्रिंसदीप सिंह का फूल मालाओं के काथ भव्य स्वागत किया। वहीं कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक्क, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद व अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा पंजाब के सदस्यों ने प्रिंसदीप सिंह को ‘गौरव सम्मान’ से सम्मानित किया।

प्रिंसदीप ने बढ़ाया पठानकोट का मान: कटारुचक्क

कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने प्रिंसदीप को गले लगाते हुए कहा कि एशिया यूनियर हॉकी कप जीत कर पूरी टीम के साथ गोल्ड मेडल जीतकर प्रिंसदीप सिंह ने जिले के मान को बढ़ाया है। मुझे इस बात का गर्व है कि जिस हलके की मैं सेवा कर रहा हूं उसने प्रिंसदीप सिंह जैसे होनहार खिलाड़ी देश को दिए हैं। आज पंजाब सरकार की तरफ से मुझे प्रिंसदीप का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। मंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार शिक्षा के साथ-साथ खेलों को भी प्रोत्साहित कर रही है। स्कूलों में खेडां वतन पंजाब दियां का आयोजन किया जा रहा है, जिसके लिए सरकार ने 18 करोड़ खर्च किए हैं। ताकि युवा पीढ़ी का खेलों की तरफ रुझान बढ़े।

प्रिंसदीप से प्रेरणा ले युवा पीढ़ी: कुंवर विक्की

परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की ने कहा कि इस जिले की वीर भूमि ने जहां देश पर अपने असंख्य लाल कुर्बान किए हैं। वहीं खेल के क्षेत्र में भी प्रिंसदीप जैसे होनहार खिलाड़ी देश को दिए हैं। प्रिंसदीप सिंह की यह उपलब्धि उन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो नशे के दलदल में फंस कर अपना भविष्य अंधकारमय बनाते जा रहे हैं। सरकार को राष्ट्रीय खेल हॉकी को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि युवा पीढ़ी का रुझान क्रिकेट से हटकर अपने राष्ट्रीय खेल की तरफ बढ़े।

ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का सपना: प्रिंसदीप

प्रिंसदीप सिंह ने सबका आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका बस एक ही सपना है कि वो ओलंपियन खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम पूरे विश्व में रोशन करे। उन्होंने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने पिता बलविंदर सिंह, माता सीमा देवी, ताया ठाकुर रछपाल सिंह व ताई कंचन बाला को दिया है। इन्होंने हमेशा सपोर्ट किया और मुझे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। प्रिंसदीप ने कहा कि उनकी छठी तक की शिक्षा सर्वहितकारी विद्या मंदिर घरोटा से हुई। उसके बाद उन्होंने चीमा हॉकी एकेडमी बटाला में दसवीं तक पढ़ाई की। इसके बाद पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (पीआईएस) लुधियाना मालवा सीनियर सेकेंडरी स्कूल से बारहवीं पास की। फिर लायपुर खालसा कॉलेज जालंधर से बीपार्ट 1 में पढ़ाई करने के दौरान ही उनकी सिलेक्शन जूनियर हॉकी टीम इंडिया में हुई। 

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