दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सोमवार को एक बार फिर लंबित सीएजी रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री आतिशी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने पत्र में दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है, जिससे लंबित सीएजी रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा जा सके। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा में समय पर प्रस्तुत न करके दिल्ली सरकार अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करने में नाकामयाब रही। ये सभी रिपोर्ट उस समय की हैं जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री थे।
बीते नवंबर महीने में भी दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी को चिट्टी लिखी थी। जिसमें उन्होंने सीएम से कैग रिपोर्ट को सदन में रखने के लिए कहा था। एलजी ने कहा था कि ये रिपोर्ट सालों से लंबित हैं। एलजी ने पहले तत्कालीन सीएम केजरीवाल और स्पीकर को पत्र लिखा था। एलजी ने कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही के नाम पर सत्ता में आई सरकार जान बूझकर खर्च की सार्वजनिक जांच से बच रही है।
दिल्ली सरकार के पास विधानसभा में पेश करने के लिए 8 कैग रिपोर्ट लंबित: CAG
इससे पहले भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने उच्च न्यायालय को बताया है कि दिल्ली से संबंधित आठ रिपोर्ट जीएनसीटीडी अधिनियम के अनुसार विधानसभा में प्रस्तुत करने के लिए दिल्ली सरकार के पास लंबित हैं। कैग ने कहा, कानूनी ढांचे के अनुसार, दिल्ली सरकार को अपने द्वारा प्रस्तुत ऑडिट रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष रखनी होती है। उसने पूर्व में प्रमुख सचिव (वित्त) को पत्र लिखकर उनसे ऐसा करने का अनुरोध किया था।
प्राधिकरण ने यह दलील शहर के विपक्षी नेताओं द्वारा दायर याचिका के जवाब में दी थी। इसमें शराब शुल्क, प्रदूषण और वित्त से संबंधित सीएजी रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष रखने का निर्देश देने की मांग की गई थी। सीएजी और महालेखाकार (लेखा परीक्षा) द्वारा दायर एक संक्षिप्त उत्तर में कहा गया था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की आठ रिपोर्ट राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम 1991 की धारा 48 के प्रावधानों के अनुसार विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के पास लंबित है।