डल्लेवाल से मिले सांसद कंग, बोले- किसानों से बात करे केंद्र

फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत कई मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मिलने के लिए राजनीतिक दलों के नेता खनौरी बॉर्डर पहुंच रहे हैं। जगजीत सिंह डल्लेवाल लगातार 21 दिन से अनशन पर हैं। उन्होंने साफ कह दिया है कि वह अनशन तभी तोड़ेंगे जब सरकार किसानों की मांगों को मानेगी। वहीं सोमवार को पंजाब आप के सांसद मालविंदर सिंह कंग डल्लेवाल से मिलने और उनका हालचाल जानने के लिए खनौरी बॉर्डर पहुंचे थे। 

शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों के साथ मुलाकात और खनौरी बॉर्डर पर डल्लेवाल से मिलने के बाद आप सांसद मालविंदर सिंह कंग केंद्र सरकार को घेरा। कंग ने कहा कि एक तरफ सरकार संसद के मौजूदा सत्र में संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा करवा रही है। वहीं दूसरी तरफ किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर हैं, जिनका सोमवार को 21वां दिन है। अन्नदाता एक साल से अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर शांतिपूर्वक संघर्ष कर रहा है। उनको अपने ही देश की राजधानी दिल्ली जाने से रोका जा रहा है। लोकतंत्र के लिए इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण और कुछ नहीं हो सकता। 

18 से पहले बात करे केंद्र, ट्रेनों को रोकने की नौबत नहीं 
सांसद कंग ने कहा कि हमने लोकसभा सत्र के दौरान भी किसानों के मसलों पर चर्चा की मांग की है। 
लेकिन अभी तक कोई भी सकारात्मक रवैया केंद्र सरकार की तरफ से नहीं दिखा है। कंग ने कहा कि 18 दिसंबर को किसानों ने रेल रोको आंदोलन की चेतावनी दी है, लेकिन ऐसे में अगर केंद्र 18 तारीख से पहले किसानों से बात करे तो ट्रेनों को रोकने की नौबत भी नहीं आएगी। 

पंजाब सरकार की कोशिश, किसानों से बात करे केंद्र सरकार
सांसद कंग ने कहा कि पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार की कोशिश है कि केंद्र सरकार किसानों के साथ बातचीत के द्वार खोले। वहीं अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से किसानों के साथ बातचीत को लेकर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। सेंटर की तरफ से किसानों को ऑफिशियल तौर पर मीटिंग के लिए अभी तक नहीं बुलाया गया है। 

किसानों से बात के लिए केंद्र ने कुछ नहीं किया
कंग ने कहा कि मैंने केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बयान सुने हैं। बावजूद इसके केंद्र की तरफ से अभी तक किसानों के साथ बैठक कर इस मसले के हल के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं। क्योंकि जमीनी स्तर पर किसानों के साथ बातचीत करने के लिए कुछ नहीं किया गया है। ऐसे में केंद्र के जो भी दावे हैं वे हवाहवाई हैं। 

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