कांग्रेस ने परिवार मजबूत करने के लिए संविधान संशोधन किए: सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में संविधान पर बहस की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. वित्त मंत्री ने कांग्रेस पर नागरिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने और सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए संविधान में संशोधन करने का आरोप लगाया. उन्होंने संविधान के पहले संशोधन से शुरुआत की और कांग्रेस पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का आरोप लगाया.

वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले सात दशकों में एक जीवित दस्तावेज यानी हमारे संविधान में कई संशोधन हुए हैं. पहले संशोधन के बारे में बात करते हुए सीतारमण ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय ने 1950 में कम्युनिस्ट पत्रिका ‘क्रॉस रोड्स’ और आरएसएस संगठनात्मक पत्रिका ‘ऑर्गनाइज़र’ के पक्ष में फैसला सुनाया था. मगर, जवाब में (तत्कालीन) अंतरिम सरकार ने सोचा कि पहले संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता थी और इसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) द्वारा लाया गया था.

भारत आज भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गर्व करता है

उन्होंने कहा, यह अनिवार्य रूप से स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए था. इसलिए भारत एक लोकतांत्रिक देश जो आज भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गर्व करता है, पहली अंतरिम सरकार एक संवैधानिक संशोधन लेकर आई, जिसका उद्देश्य भारतीयों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना था और संविधान को अपनाने के एक वर्ष के भीतर.

उन्होंने कहा कि पहला संशोधन पीएम नेहरू ने सांसदों के खिलाफ होने के बावजूद प्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए किया था. यह अभी भी मीडिया की स्वतंत्रता को प्रभावित कर रहा है. अपने भाषण में उन्होंने कहा कि चार मानदंडों के आधार पर संशोधनों का एक महत्वपूर्ण मूल्यांकन आवश्यक था- क्या वे वास्तविक थे, लोगों के लिए उनके परिणाम, अपनाई गई प्रक्रियाएं और संविधान की भावना का पालन.

कांग्रेस ने न्यायिक प्रणाली को कमजोर करने की कोशिशें की

उन्होंने कहा, आज हम न्यायिक प्रणाली पर कांग्रेस पार्टी की टिप्पणियां सुनते हैं लेकिन उन्होंने स्वयं इसे कमजोर करने के लिए अतीत में काफी प्रयास किए हैं. उदाहरण के लिए निर्णयों को निरस्त करने के लिए उन्होंने संशोधन प्रस्तुत किए. इंदिरा गांधी बनाम राज नारायण के मामले में 1975 में आपातकाल के दौरान नेहरू की जीवनी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

वित्त मंत्री ने कहा, फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ को भी सिर्फ इसलिए प्रतिबंधित कर दिया गया था क्योंकि इसमें इंदिरा गांधी पर सवाल उठाए गए थे और गंभीर मुद्दे उठाए गए थे. यही है वो किस हद तक न्यायिक जांच को दरकिनार करने में सफल रहे. कांग्रेस अधिकारों और न्यायिक व्यवस्था की रक्षा की बात करती है…कैसे?

तब सरकार सहयोगियों के डर से इसे लोकसभा में नहीं ला सकी

उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देश स्वतंत्र हुए और उन्होंने अपना संविधान लिखा लेकिन कई लोगों ने अपने संविधान को बदल दिया है, न केवल उनमें संशोधन किया है बल्कि वस्तुतः उनके संविधान की संपूर्ण विशेषता को बदल दिया है. लेकिन हमारा संविधान निश्चित रूप से समय की कसौटी पर खरा उतरा है और इसमें कई संशोधन हुए हैं.

संविधान और महिलाओं के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह भाजपा ही थी जिसने 1994 में वडोदरा में पार्टी की राष्ट्रीय सम्मेलन में उल्लेख किया कि संसद के साथ-साथ राज्य विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि 2008 में मनमोहन सिंह ने महिला आरक्षण विधेयक पारित करने की कोशिश की और यह राज्यसभा में पारित हो गया. मगर, तब सरकार सहयोगियों के डर से इसे लोकसभा में नहीं ला सकी जिन्होंने सरकार से समर्थन वापस लेने की चेतावनी दी थी. मोदी सरकार में इस नए संसद भवन में जो पहला विधेयक पारित किया गया वह महिला आरक्षण विधेयक था. जो लोग संविधान की किताब लेकर बाहर चले जाते हैं, बिना यह जाने कि अंदर ‘कोरा कागज’ है, वो लोग हैं जिन्होंने बार-बार इस उद्देश्य को विफल किया है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here