पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पुरातन, समृद्ध, गौरवशाली परम्पराओं से ओतप्रोत उद्यमी-राजनीतिक परिवार यानी ‘बाबरी परिवार’ का एक और चमकता सितारा- निधीश प्रकाश क्षितिज से 9 दिसंबर, 2024 को ओझल हो गया। लगभग चार मास पूर्व उनके बड़े भ्राता सोमांश प्रकाश जी का 19 अगस्त, 2024 को स्वर्गवास हो गया था।
लोकहित, परसेवा, धर्मपरायणता के लिए दूर-दूर तक विख्यात बाबरी परिवार का मुगल काल से गौरवमयी इतिहास रहा है। जब जमींदारी प्रथा को शोषण और अन्याय का पर्याय माना जाता था, तब बाबरी परिवार के पूर्वजों ने परिश्रम, उदारता, सरलता एवं धर्मनिष्ठा के उच्च आदर्शों की स्थापना की। इस परिवार के बुजुर्गों को राय बहादुर एवं रायसाहब के अलंकरण (ख़िताब) मिलते रहे। 18वीं 20वीं शताब्दी में परिवार के मुखिया लाला सौदागर मल जी की ख्याति देश के बड़े जमींदार के रूप में व्याप्त थी। इस परिवार में उनके बड़े पुत्र लाला चन्द्रप्रकाश और लाला इन्द्रप्रकाश हुए। दोनों ही सुसंस्कृत, सभ्य एवं सरलहृदय के सज्जन पुरुष थे।
लाला चन्द्र प्रकाश जी के पुत्र शक्ति स्वरूप जी की गणना जिले के प्रतिभावान वकील के रूप में होती थी। डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट काउंसलर (डीजीसी) रहते उन्होंने निष्पक्षता, ईमानदारी, दृढ़ता के आयाम स्थापित किये। बाबरी परिवार की परम्पराओं के अनुरूप शक्ति जी में दयालुता एवं धर्मपरायणता कूट-कूट कर भरी थी। शुकतीर्थ स्थित श्री हनुमत धाम की स्थापना में उनका अपूर्व योगदान था।
बाबरी परिवार के लाला इन्द्रप्रकाश जी एक उच्च आदर्श पुरुष थे। अध्यात्म क्षेत्र में पारिवारिक गुरु सन्त शिरोमणि पानकदास महाराज (धामपुर-बिजनौर आश्रम) के अनुयायी थे और शुकतीर्थ के उन्नायक, शिक्षाऋषि स्वामी कल्याण देव जी महाराज के परम भक्त थे। महाराज जी ने दशकों तक नई मंडी, मुजफ्फरनगर स्थित बाबरी भवन में प्रवास किया था।
लाला इन्द्रप्रकाश जी के तीनों पुत्रों- सर्वश्री सोमांश प्रकाश जी, निधीश प्रकाश जी एवं सुधीश प्रकाश जी ने सदैव बाबरी परिवार के उच्च आदर्शों का निष्ठापूर्वक पालन किया। ऋग्वेद के ये दो शब्द इन तीनों भाइयों के जीवन के आदर्श वाक्य बन गये: सं गच्छध्वम् सं वदध्वम् यानी साथ चलें, मिल कर बोलें। उसी सनातन धर्म का अनुसरण करो, जिस पर पूर्वज चले हैं।
इस परिवार के स्व. सोमांश जी सरल, सेवाभावी, हरदिल अजीज शख्स थे। जमीन से जुड़े लोकप्रिय नेता थे, 3 बार विधायक बने। इसी प्रकार निधीश प्रकाश जी ने बाबरी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ कदम से कदम मिला कर परिवार के सम्मान, समृद्धि को आगे बढ़ाया। वे वर्तमान में टिकौला चीनी मिल के चेयरमैन थे।
निधीश प्रकाश जी कुशाग्र बुद्धि, दूरदृष्टा और सरल प्रकृति के सज्जन पुरुष थे। उनके जाने से न केवल बाबरी परिवार को दारुण कष्ट पहुंचा है, बल्कि एक बड़े वर्ग को, जो उनको और बाबरी परिवार को दिल से चाहता है, हार्दिक दुःख पहुंचा है। प्रभु से निधीश जी की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे ‘बाबरी परिवार’ को यह दारुण कष्ट सहने की शक्ति प्रदान करें।
परवीन शाकिर के शे’र के साथ स्वर्गीय निधीश प्रकाश जी को विनम्र श्रद्धांजलि:
एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा।
आँख हैरान है क्या शख्स जमाने से उठा।।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’