एक घर से उठी पांच अर्थियां, हर आंख नम, पूरा शहर बंद, जम्मू में छाया मातम

रिटायर डीएसपी केवल कृष्ण के घर आग लगने से मरने वाले दो बच्चों सहित छह लोगों का गुरुवार को जम्मू के पुरमंडल में अंतिम संस्कार किया गया। शहर के शहीदी चौक से पांच अर्थियां उठीं तो हर किसी की आंखें नम हो गईं। पूरा शहर अवतार कृष्ण रैना और उनके परिवार के सदस्यों को विदाई देने उमड़ा। शोक में बाजार बंद रहा। केवल कृष्ण के नाती आद्विक को उसके पिता ने अपने घर से विदा किया।

जानकारी के अनुसार परिवार कश्मीरी पंडित था और पंडित परिवारों में कुंवारों की मृत्यु पर अंतिम संस्कार जम्मू स्थित परमंडल में ही किया जाता है। मान्यता है कि यहां संस्कार के बाद अस्थियां चुनने की जरूरत नहीं होती। वीरवार को अंतिम संस्कार से पहले शवों को जीएमसी कठुआ से शहीदी चौक स्थित घर पर लाया गया। जैसे ही शव पहुंचे तो हर तरफ वहां स्थित हर आंख के आंसू बहने लगे।

बच्चों के शव देखकर स्वर्णा रैना का बुरा हाल था। दो बच्चों को खोने वाली नीतू देवी बार-बार बेहोश हो जा रही थी। महिलाओं का विलाप सुन कलेजा फट रहा था। बेबस परिजन यही कहते रहे कि अब किसके सहारे जीएंगे। अर्थियां उठीं तो शहर के लोगों के मुंह से यही निकल रहा था कि भगवान किसी को ये दिन न दिखाए।

शव यात्रा में शामिल लोगों में यही चर्चा रही कि इस मनहूस दिन को ताउम्र नहीं भूल पाएंगे। मंगलवार रात दो बजे के करीब शहर के शिवानगर में सेवानिवृत्त डीएसपी अवतार कृष्ण के किराये के घर में आग लगने के बाद धुएं के कारण दम घुटने से खुद अवतार कृष्ण, नौजवान बेटी बरखा, साले के दो बच्चों गंगा और दानिश, कनाडा रह रही बड़ी बेटी के चार वर्षीय बेटे आद्विक और अवतार कृष्ण द्वारा गोद लिए बेटे तक्ष रैना की मृत्यु हो गई थी। घटना में अवतार कृष्ण की पत्नी कृष्णा रैना और साले की पत्नी नीतू बच गई थीं।स्वर्णा को साथ ले गए मायके वाले

पूरे परिवार को खोने के बाद घर में अकेली बचीं स्वर्णा रैना को मायके वाले साथ ले गए। अंतिम संस्कार से पहले शवों को जम्मू स्थित मायकेे घर भी लाया गया। कई रिश्तेदार और मृतक डीएसपी की बड़ी बेटी कनाडा से यहीं पहुंची। परिचित और रिश्तेदार समझ ही नहीं पा रहे थे कि उसे कैसे संभालें।

मां-मामी को बचाकर आंसूओं की बारिश में विदा हुई बरखा
घर में आग लगने का सबसे पहले पता बरखा को ही चला। उसने उठते ही सबसे पहले आग के बीच से मां स्वर्णा रैना और मामी नीतू को बाहर निकाला। जब वह बच्चों और पिता को निकालने के अंदर घुसीं तो आग ज्यादा फैल गई और बाहर नहीं निकल पाईं। बचाव कार्य में जुटे लोगों ने उसे घर के अंदर सोफे पर बेधुस हालत में निकाला, लेकिन जान नहीं बचा पाए।

मां र्स्वणा ने बताया कि बेटी ने उनकी जान तो बचा ली, लेकिन सदा के लिए दूर चली गई। परिवार के करीबियों ने बताया कि बरखा की सगाई हो चुकी थी। अब शादी को लेकर तैयारियां चल रही थीं।मां-पिता सहित सारा परिवार खुश था। सेवानिवृत्त डीएसपी अवतार कृष्ण रैना और उनकी पत्नी स्वर्णा रैना ने बड़े चाव के साथ छोटी बेटी को ससुराल विदा करने के लिए कपड़े और अन्य सामान की खरीदारी कर रखी थी।

दुल्हन के रूप में बरखा को सजा हुआ देखने के सपने इस एक हादसे ने तोड़ दिए। बेटी का शव देखकर अभागी मां की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। मां ने अंतिम बार आंसूओं की बारिश में बरखा को दुल्हन की तरह सजाकर विदा किया।

पुरमंडल भी रोया…एक साथ जली छह चिताएं
परमंडल। शाम चार बजे परमंडल में सभी का अंतिम संस्कार किया गया। इतने बड़े हादसे की पहले से ही खबर होने के चलते स्थानीय लोगों सहित कठुआ और जम्मू से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। एक साथ छह चिताओं को अग्रिन दी गई तो हर किसी की आंख रोई। इस मौके पर विधायक चंद्रप्रकाश गंगा और विधायक डॉ. देवेंद्र मन्याल भी पहुंचे और शोक संतप्त परिजनों को ढांढ़स बंधाया। 

रवींद्र रैना ने कठुआ पहुंच परिवार के साथ जताया दुखकठुआ। भाजपा नेता रवींद्र रैना ने वीरवार को शिवानगर में पहुंचकर हादसे में परिवार को खोने वाली स्वर्णा रैना के साथ दुख जताया। रैना ने कहा कि बहुत की दुखद घटना है। रूह कंपा देने वाले इस हादसे से पूरा प्रदेश गमगीन है। परिवार के साथ इस मुश्किल घड़ी में पूरा जम्मू कश्मीर खड़ा है। इस नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती, लेकिन मुझे यकीन है कि सरकार पीड़ित परिवार की मदद करेगी।

देख बेटा मैं आ गया अब तू भी उठ घर चलें
बेटा, तुम कहां हो। देखो मैंने अपना वादा पूरा किया, मैं आ गया हूं। अब तुम भी उठो, घर चलें। चीखों और रुदन के बीच ये शब्द थे आद्विक के पिता संदीप के। बेटे के शव को देख वह उसे बार-बार उठकर साथ घर चलने की बात कहते रहे, लेकिन नटखट बेटा इस बार चिर निद्रा में था। पिता के बेटे को पुकारने से हर किसी का कलेजा फट रहा था। हर कोई बदहवास पिता को ढांढ़स बंधाता रहा। अंत में संदीप बेटे आद्विक के शव को लेकर जम्मू के जगती स्थित घर चले गए।

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