संभल के बाद मुरादाबाद में मिला बंद मंदिर: डर के चलते 39 साल पहले पलायन कर गया था जैन समुदाय

पाकबड़ा के रतनपुर कलां गांव में 39 सालों से बंद जैन मंदिर की जांच करने पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। टीम ने जैन समाज के लोगों से मंदिर के बारे में जानकारी ली। रतनपुर कलां गांव से जैन समाज के करीब दो दर्जन से ज्यादा परिवार 39 साल पहले सामूहिक डकैती के बाद पलायन कर गए थे।

पलायन के बाद उनका मंदिर भी बंद हो गया था। मंदिर स्थल अब कूड़े से ढक गया है। जैन मंदिर की जानकारी लेने के लिए एलआईयू और पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची। रतनपुर कलां गांव से पलायन करने वाले प्रदीप कुमार जैन ने बताया कि जैन मंदिर से मूर्तियों को बंद करने से पहले वहां से हटा लिया गया था।

इस मंदिर की जगह पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। इसकी शिकायत की गई थी लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। समाज के लोग इस स्थान को सरकार को दान देना चाहते हैं। इस स्थान पर लोगों की भलाई के लिए कुछ किया जा सकता है।

आयुष जैन ने बताया कि उनका परिवार पलायन कर मुरादाबाद में बस गया था। बाकी परिवारों ने दिल्ली, गाजियबाद, गुड़गांव कोलकाता आदि शहरों में अपना घर बना लिया है। एसडीएम विनय कुमार सिंह ने बताया कि इसकी जांच की जाएगी।

चंदौसी के लक्ष्मणगंज में भी मिला 152 साल पुराना खंडहरनुमा मंदिर

संभल में प्राचीन मंदिर मिलने के बाद  चंदौसी के मुस्लिम बहुल लक्ष्मणगंज में 152 साल पुराना बांके बिहारी प्राचीन मंदिर मिला है। यह मंदिर अब खंडहर स्थिति में है। दावा है कि हिंदुओं के पलायन के बाद साल 2010 में शरारती तत्वों ने मूर्तियां खंडित कर दी थीं। मुस्लिम आबादी से घिरे क्षेत्र में रखरखाव न होने की वजह से धीरे-धीरे यह मंदिर अपना अस्तित्व खो चुका है।

चंदौसी का लक्ष्मणगंज मोहल्ला नाम से तो सनातन की पहचान कराता है। लेकिन वर्तमान में यहां की आबादी शतप्रतिशत मुस्लिम बहुल है। 25 साल पहले तक यहां हिंदुओं की बड़ी आबादी होती थी, लेकिन धीरे धीरे यहां मुस्लिम आबादी बढ़ती गई। इसके बाद हिंदुओं का पलायन शुरू हो गया।

इसका असर यहां मौजूद करीब 152 साल पुराने बांके बिहारी मंदिर पर पड़ा। कभी इस मंदिर में सुबह शाम पूजा अर्चना होती थी। हिंदू समाज लोग दर्शन के लिए पहुंचते थे। मंदिर के संरक्षक रहे कृष्ण कुमार के अनुसार साल 2010 तक मंदिर में पूजा अर्चना होती थी। इसी साल शरारती तत्वों ने मंदिर में विराजमान भगवान बांके बिहारी की प्रतिमा और शिवलिंग समेत अन्य मूर्ति को खंडित कर दिया।

पुलिस कार्रवाई भी हुई, लेकिन फिर इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। धीरे धीरे मंदिर के गेट, शिखर आदि तोड़ दिए गए। आज मंदिर पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुका है। यहां मंदिर में मूर्तियों के स्थान पर उनके निशान नजर आते है।

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