जम्मू-कश्मीर: आरक्षण पॉलिसी पर छात्रों से मिले उमर अब्दुल्ला

जम्मू कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और श्रीनगर से लोकसभा सदस्य आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी ने सोमवार (23 दिसंबर) को इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के कार्यालय और निवास के बाहर शांति पूर्ण प्रदर्शन किया. जिसके बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि सांसद आगा खुद पार्टी के खिलाफ विरोध में जुट गए हैं. वहीं सीएम ने भी इस प्रदर्शन के बारे में एक बयान जारी कर छात्रों को जम्हूरियत के तहत प्रदर्शन करने के हक की बात की थी.

सोमवार को गुपकार रोड में छात्रों के मार्च को लेकर जहां सुरक्षा के कड़े प्रयास किए गए थे, वहीं छात्रों की एक अच्छी खासी संख्या गुपकार रोड पर पहले ही जमा हो गई. इस दौरान सांसद आगा रुहुल्लाह छात्रों से साथ मिले. पहले मुख्यमंत्री उमर के गुपकार रोड स्थित कार्यालय और फिर उनके निवास के बाहर प्रदर्शनकारी जमा हुए. इस दौरान सभी लोगों ने वी वांट जस्टिस, रिजर्वेशन पॉलिसी हाय हाय के नारे लगाए.

प्रदर्शन में शामिल हुए कई दलों के नेता

इस शांतिपूर्वक प्रदर्शन मार्च में पीडीपी के विधायक वहीद पर्रा, नेता इल्तिजा मुफ्ती, मोहित भान और एआईपी प्रवक्ता इनाम उन नबी, विधायक शेख खुर्शीद भी छात्रों की मांगों को लेकर अपना समर्थन देने के लिए शामिल हुए. इसके अलावा अलगाववादी नेता मीरवाइज, मौलवी उमर फारूक ने सरकार के खिलाफ नेशनल कांफ्रेंस सांसद के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया.

वहीं पुलवामा से पीडीपी विधायक वहीद पर्रा ने प्रदर्शन को लेकर कहा कि आरक्षण नीतियों में सामान्यता और निष्पक्षता की मांग में युवाओं के साथ खड़े होने के आगा सैयद रूहुल्लाह के फैसले का तहे दिल से स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि यह दबावपूर्ण शिकायतों को दूर करने और यह सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण क्षण है कि हमारी नीतियां समावेशी, युवा-हितैषी और न्यायपूर्ण हों. पर्रा ने कहा कि इस मामले में राजनीति से ऊपर उठकर आगे आने की जरूरत है, जिसको वह महसूस कर इस प्रदर्शन रैली में शामिल होने पहुंचे हैं.

अलगाववादी नेता मीरवाइज ने किया समर्थन

इसके साथ ही अलगाववादी नेता मीरवाइज ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि आरक्षण के मुद्दे को प्रभारी लोगों द्वारा न्याय और निष्पक्षता के साथ संबोधित किया जाना चाहिए, समाज के सभी वर्गों के हितों की रक्षा करना चाहिए, न कि किसी एक समूह की कीमत पर. उन्होंने कहा ओपन मेरिट स्टूडेंट्स एसोसिएशन के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करें. मीरवाइज ने कहा कि अगर अधिकारी अनुमति देंगे तो वह विरोध प्रदर्शन का हिस्सा होंगे. जब भी जाने की अनुमति मिलेगी वो जामिया मस्जिद में भी इस मुद्दे को उठाएंगे.

वहीं प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहा कि उनके साथ नाइंसाफी हो रही है. खाली खोखले आश्वासन दिए जा रहे हैं. प्रदर्शन में शामिल MBBS के एक छात्र बुरहान ने कहा कि यह असोस की बात है कि हमें हर बार अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने की रुरत पड़ रही है. छात्र ने कहा कि हमारी मांगें पूरी नहीं की जा रही. पहले कहा गया कि एक कमिटी का गठन किया जाएगा लेकिन उसके बाद कहा कि ये मुद्दा अदालत के विचाराधीन है.

प्रदर्शन रैली में आखिर कार क्या तय हुआ?

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह के निवास के बाहर जमा हुए छात्रों, विभिन्न राजनेताओं और नेशनल कांफ्रेंस के संसद आगा रुहुल्लाह के बीच मुख्यमंत्री कार्यालय से बयान मिलने के बाद यह फैसला हुआ कि छात्रों का एक प्रतिनिधि मंडल, सीएम उमर अब्दुल्ला से बात करने के लिए जाएगा. आग रुहुल्लाह ने छात्रों से इन छात्र प्रतिनिधियों के चयन करने को कहा, जिसके बाद छात्रों का एक दल उनसे मुलाकात करने के लिए सीएम के निवास में गया और करीब 40 मिनट के बाद बाहर आया.

CM उमर अब्दुल्ला से मिलकर, क्या कहा छात्रों ने?

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मिलकर लौटे छात्रों के प्रतिनिधियों ने मीडिया को बताया कि उन्होंने सीएम के साथ एक सौहार्दपूर्ण वातावरण में करीब आधे घंटे तक बातचीत की. इस दौरान सीएम ने तथ्यों के आधार पर सारे मुद्दों को सुना. सीएम ने कहा कि 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस, और नीट वालों के रूल 17 – यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं उसको लेकर आश्वासन दिलाया कि वह जल्द करेंगे. दूसरा जो सब-कमेटी बनाई गई है उसको लेकर सीएम ने 6 महीने की मांग की और कहा कि र इसके अंदर हम कुछ करेंगे. वहीं ओपन मेरिट के लिए 75 प्रतिशत आरक्षित करने के लिए सीएम ने कहा कि उसकी एक प्रक्रिया है. हालांकि उसको लेकर कानूनी प्रक्रिया भी चल रही है पर हम उसका सहारा नहीं लेंगे. सीएम ने छात्रों को आश्वासन दिलाया कि सब-कमेटी सभी वर्गों से सलाह लेने के बाद जो सही होगा वो करेंगी.

सांसद आग रुहुल्लाह ने दी प्रतिक्रिया

वहीं सांसद आग रुहुल्लाह ने कहा कि उनका आश्वासित होना मायने नहीं रखता बल्कि छात्र आश्वासित होने चाहिए. उन्होंने कहा, “हम चाहते थे कि सब-कमेटी का कार्य सीमा के भीतर हो, अगर उसपर उन्होंने जवाब दिया है और छात्र आश्वस्त हैं तो मैं भी आश्वस्त हूं. आगा ने कहा कि पॉजिटिव बात यह है कि इसमें एक समय सीमा का आश्वासन दिया गया है और उस समय सीमा का पहले ही एक महीना गुज़र चुका है. अब पांच ही महीने बचे हैं और मुमकिन है कि इस समय सीमा से पहले ही कुछ ठोस निकल कर आए.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here