सुरक्षा को लेकर चिंतित… किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पर बोला सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के जीवन और सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है. शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वह डल्लेवाल को मेडिकल सुविधा सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए. इसके साथ-साथ अदालत ने यह भी कहा कि अगर कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा होती है तो आपको उससे भी सख्ती से निपटना होगा.

शुक्रवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सुधांशु धूलिया की अवकाशकालीन पीठ ने किसान नेता डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने को लेकर मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना याचिका पर पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है. पीठ ने कहा कि अगर कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा होती है तो आपको इससे सख्ती से निपटना होगा.

जीवन दांव पर, गंभीरता से लेना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

अदालत ने आगे कहा कि किसी का जीवन दांव पर है. आपको इसे गंभीरता से लेना चाहिए. डल्लेवाल को मेडिकल सुविधा प्रदान की जानी चाहिए और ऐसा लगता है कि इसका पालन नहीं कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से शनिवार तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि वो इस शनिवार को इस मामले पर फिर से सुनवाई करेगा.

दरअसल, किसान नेता डल्लेवाल फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों की अन्य मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति को लिखा है पत्र

डल्लेवाल के आमरण अनशन के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर उनसे संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मिलने का समय देने का अनुरोध किया. मोर्चा ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वो डल्लेवाल के अनशन से जुड़ी स्थिति और अन्य जरूरी मुद्दों का समाधान चाहते हैं जिसमें कृषि क्षेत्र को लेकर राष्ट्रीय नीति ढांचा पेश करना शामिल है.

शंभू और खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान

सुरक्षा बलों द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली कूच से रोके जाने के बाद से एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों के जत्थे में शामिल 101 प्रदर्शनकारी किसानों ने 6 से 14 दिसंबर के बीच 3 बार दिल्ली तक पैदल मार्च निकालने का भी प्रयास किया था, लेकिन उन्हें हरियाणा में ही रोक दिया गया.

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