लखनऊ मुख्यालय की एसटीएफ टीम ने अतरैला टोल प्लाजा पर छापेमारी कर करोड़ों रुपये के बड़े घोटाले का खुलासा किया है। एसटीएफ ने मामले में तीन टोलकर्मियों को गिरफ्तार कर लालगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया। मुकदमा दर्ज कराकर एसटीएफ आरोपियों को लेकर चली गई। माना जा रहा है कि लगभग 120 करोड़ का घोटाला हुआ है। जिसका खुलासा एसटीएफ लखनऊ में करेगी।
ये है पूरा मामला
टोल पर होने वाली वसूली में अनियमितता की शिकायत पर एसटीएफ लखनऊ के निरीक्षक दीपक सिंह के नेतृत्व में मंगलवार की देर रात छापेमारी की गई। जांच में सामने आया कि टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर के जरिए टोल कलेक्शन की वास्तविक राशि छिपाई जा रही थी। सरकार को कम राजस्व दे रहे थे। मामले में एसटीएफ ने प्रयागराज के मेजा रानीपुर निवासी राजू मिश्रा, मध्य प्रदेश के सीधी मझौली कचवर निवासी मनीष मिश्रा और जौनपुर के सराय ख्वाजा निवासी आलोक कुमार सिंह को गिरफ्तार किया।
42 अन्य टोल प्लाजा पर भी बढ़ा है गड़बड़ी का दायरा
एसटीएफ ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। जांच में यह भी पता चला कि इस गड़बड़ी का दायरा केवल अतरैला टोल प्लाजा तक सीमित नहीं है। 42 अन्य टोल प्लाजा में भी इस तरह की अनियमितताओं की संभावना है। बताया कि आरोपियों ने खुद का सॉफ्टवेयर विकसित कर सरकारी राजस्व में करोड़ों रुपये की हेरफेर की।
प्रारंभिक जांच में घोटाले का आंकड़ा करोड़ों रुपये तक पहुंचने की आशंका है। फिलहाल एसटीएफ मामले की गहन जांच कर रही है। अन्य टोल प्लाजा पर भी निगरानी बढ़ा दी गई है। इस बड़े घोटाले को लेकर टोल प्रबंधन और संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। अतरैला टोल प्लाजा पर 120 करोड़ के घोटाला का अंदेशा है।
एएसपी आपरेशन ओपी सिंह टोल प्लाजा पर अनियमितता की जांच करने एसटीएफ आई थी। शिकायत था कि टोलकर्मी कम राजस्व वसूली दिखा कर घोटाला कर रहे है। कितने का घोटाला है। इसकी जानकारी एसटीएफ दे सकेगी। टीम ने तीन लोगों को पकड़कर मुकदमा दर्ज कराया गया।